Tuesday, 30 December 2014

♥♥नये साल में...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥नये साल में...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नये साल में कुछ आशायें, कुछ सपने बुनना चाहता हूँ। 
नये साल में अपने दिल की, बातों को सुनना चाहता हूँ। 
नये साल में हसरत है ये, नफरत मिट्टी में मिल जाये,
इसीलिए मैं मानवता के रस्ते को, चुनना चाहता हूँ। 

नहीं जानता ख्वाब हों पूरे, पर मन में विश्वास रखा है। 
अब से बेहतर कुछ करने का, साहस अपने पास रखा है। 

दुख के क्षण में भी फूलों सा, मैं जग में खिलना चाहता हूँ। 
नये साल में कुछ आशायें, कुछ सपने बुनना चाहता हूँ... 

जो गलती इस साल हुईं हैं, उनका न दोहराव हो मुझसे। 
किसी आदमी के भी दिल में, भूले से न घाव हो मुझसे। 
"देव" जिन्होंने मेरी खातिर, अपना प्यार, दुआ बख्शी है,
उनसे मिलने और जुलने में, न कोई बदलाव हो मुझसे। 

नहीं मैं सूरज हूँ दुनिया का, भले तिमिर न हर सकता हूँ। 
लेकिन फिर भी दीपक बनकर, बहुत उजाला कर सकता हूँ। 

नये साल की नयी राह पर, ऊर्जा संग चलना चाहता हूँ। 
नये साल में कुछ आशायें, कुछ सपने बुनना चाहता हूँ। "

....................चेतन रामकिशन "देव"…................
दिनांक--३०.१२.२०१४