♥♥प्रीत की खुश्बू.♥♥
जब से प्रीत तेरी पाई है!
तब से जीवन सुखदाई है!
उपवन खुश्बू से भर आया,
और तितली भी मुस्काई है!
प्रेम तुम्हारा बड़ा ही कोमल,
प्रेम तुम्हारा मनोहारी है!
तुम्हे देखकर खिले उजाला,
छवि तुम्हारी उजियारी है!
सखी तुम्हारे प्रेम से देखो,
लगता हर दिन त्योहारों सा,
सखी ईद सी, मीठी है तू,
तू रंगों की पिचकारी है!
सही रास्ता मुझे दिखाकर,
गलत दिशा भी समझाई है!
उपवन खुश्बू से भर आया,
और तितली भी मुस्काई है...
सखी तुम्हारे दर्शन पाकर,
मेरी हर प्रभात सुखद हो!
सखी तुम्हारे प्रेम से देखो,
पूनम सी हर रात सुखद हो!
"देव" तुम्हारी प्रीत ने मुझको,
अपनेपन का दिया समुन्दर,
सखी दुआ है युगों युगों तक,
हम दोनों का साथ सुखद हो!
सखी तुम्हारा रूप देखकर,
धवल चांदनी शरमाई है!
उपवन खुश्बू से भर आया,
और तितली भी मुस्काई है!"
..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-२३.०४.२०१३
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प्रीत-जहाँ, परस्पर प्रीत होती है, वहां जीवन, समस्याओं की कठिनता के बाद भी,
पथरीला नहीं लगता! प्रेम जहाँ होता है, वहां अभावों में जीवन पथ सरल हो जाता है!"
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