♥♥♥♥♥झालर ...♥♥♥♥♥♥
हर आँगन में खुशहाली हो।
ऐसी सबकी दीवाली हो।
रंग बिरंगी झालर दमकें,
रात नहीं ग़म से काली हो।
नफरत के शोले बुझ जायें,
चिंगारी तक शेष रहे न।
मानवता से प्यार करें सब,
किंचित भी आवेश रहे न।
दीप जलें बस अपनेपन के,
न रंजिश हो, नहीं लड़ाई,
घुल मिल जायें हम आपस में,
बैर तनिक भी, द्वेष रहे न।
बच्चों की हों नयी शरारत,
गोद किसी की न खाली है।
रंग बिरंगी झालर दमकें,
रात नहीं ग़म से काली हो। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१०.११.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
हर आँगन में खुशहाली हो।
ऐसी सबकी दीवाली हो।
रंग बिरंगी झालर दमकें,
रात नहीं ग़म से काली हो।
नफरत के शोले बुझ जायें,
चिंगारी तक शेष रहे न।
मानवता से प्यार करें सब,
किंचित भी आवेश रहे न।
दीप जलें बस अपनेपन के,
न रंजिश हो, नहीं लड़ाई,
घुल मिल जायें हम आपस में,
बैर तनिक भी, द्वेष रहे न।
बच्चों की हों नयी शरारत,
गोद किसी की न खाली है।
रंग बिरंगी झालर दमकें,
रात नहीं ग़म से काली हो। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१०.११.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "