Tuesday, 14 April 2015

♥♥जागता चाँद...

♥♥♥♥♥♥♥♥जागता चाँद...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जागता चाँद ये, मेरी तरह से आधा है। 
क्यों नहीं आया वो, जिससे मिलन का वादा है। 

मुझे तड़पाने को न आये, या फिर वक़्त नहीं,
मैं क्या जानूं के भला, उनका क्या इरादा है। 

मेरा ये हक़ है मिलन का, या फिर मेरे यारों,
मेरी उम्मीद ही उस आदमी से, ज्यादा है। 

मेरी किस्मत मुझे महबूब मिला, फूलों सा,
मेरा किरदार तो दुनिया में, बड़ा सादा है। 

एक लम्हे की जुदाई से, टूट जाता हूँ,
मेरा दिल तो बड़ा कमजोर, इश्क़ज़ादा है। 

मुझसे कहती हैं वो, आ जायेंगी वो मेरी हैं,
क़र्ज़ की तरह भला, इतना क्यों तकादा है। 

"देव" एहसास की, हर लौ पे तेरा नाम लिखा,
बिन मिले लगता ये, जीवन ही बेइरादा है। "

.............चेतन रामकिशन "देव"…............
दिनांक-१४.०४.२०१५  (CR सुरक्षित )