♥♥♥♥♥♥♥♥♥मनमोहिनी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है!
तुम्हारे रूप से देखो, धरा भी जगमगाई है!
तुम्हारे प्रेम से मेरे ह्रदय को प्रेरणा मिलती,
तुम्हारे प्रेम ने ही हर्ष की ज्योति जलाई है!
तुम्हारा प्रेम है पावन, तुम्हारा प्रेम अनुपम है!
तुम्हारा प्रेम उर्जा है, तुम्हारा प्रेम अधिगम है!
तुम्हारे प्रेम ने संघर्ष की युक्ति सिखाई है!
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है...
तुम्हारे रूप के दर्शन से मन अभिभूत होता है!
दहन के भाव बुझते हैं, शमन आहूत होता है!
तुम्हारे प्रेम का वंदन, तुम्हारे प्रेम का पूजन,
तुम्हारे प्रेम से ही ज्ञान का सम्भूत होता है!
तुम्हारा प्रेम सरगम है, तुम्हारा प्रेम वादन है!
तुम्हारे प्रेम वर्षा है, तुम्हारा प्रेम सावन है!
तुम्हारे प्रेम ने ही फूलों की रंगत बढ़ाई है!
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है...
तुम्हारे प्रेम से ही शब्दों का श्रृंगार होता है!
तुम्हारे प्रेम से हर स्वप्न भी साकार होता है!
तुम्हारा प्रेम मुझको "देव" दूतों की तरह लगता,
तुम्हारे प्रेम से ही हर जगह सत्कार होता है!
तुम्हारा प्रेम युक्ति है, तुम्हारा प्रेम सिद्धि है!
तुम्हारा प्रेम चन्दन है, तुम्हारा प्रेम शुद्धि है!
तुम्हारे प्रेम ने ही चेतना मन की जगाई है!
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है!"
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जिससे प्रेम होता है, ह्रदय में जिसका वास होता है, आत्मा जिसके प्रेम को अनुभूत करती है, वो व्यक्ति भले ही श्वेत हो, अश्वेत हो, किन्तु प्रेम के क्षेत्र में रंग भेद की नीति, धनिक-निर्धन नीति काम नहीं करती! प्रेम, एक ऐसी अनुभूति जो, आत्माओं से परिचय कराते हुए, परस्पर विलीन हो जाती है! तो आइये इस अनुभूति के संवाहक बनें..."
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०७.११.२०१२
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रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!