Saturday, 22 February 2014

♥प्यार अभी तक...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार अभी तक...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जान हजारों चली गयीं पर, प्यार अभी तक मरा नहीं है !
क्यूंकि जग में प्यार से बढ़कर, कोई रिश्ता खरा नहीं है!
प्यार नहीं केवल युगलों तक, बहुत बड़ी है सीमा इसकी,
वो मानव पाषाण है जिसमें, प्यार जरा भी भरा नहीं है!

नफरत के अंकुर बोने से, प्यार नहीं पैदा होता है!
किसी के घर अल्लाह में रोता, राम किसी के घर रोता है!

बिना प्रेम के अम्बर सूना, और ये हर्षित धरा नहीं है!
जान हजारों चली गयीं पर, प्यार अभी तक मरा नहीं है !

हर रिश्ते में, हर नाते में, प्यार से ही रौनक आती है!
जिनके दिल में प्यार पनपता, उनकी दुनिया मुस्काती है!
"देव" छोड़कर नफरत सारी, प्यार को अपने दिल में भर लो,
बिना प्यार की छाया पाये, आंच ग़मों की झुलसाती है!

प्यार की ये नातेदारी तो, जात धर्म से ऊपर होती!
न ईर्ष्या, न द्वेष पनपता, दुरित कर्म से ऊपर होती!

प्यार है अमृत के प्याला सा, ये जहरीली सुरा नहीं है!
जान हजारों चली गयीं पर, प्यार अभी तक मरा नहीं है !"

..................चेतन रामकिशन "देव"…................
दिनांक-२२.०२.२०१४