♥♥♥♥♥♥♥♥♥याद...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
याद आँगन में दबे, पांव तेरी आती है।
ख्वाब आँखों में नये, प्यार के सजाती है।
देखना चाहूँ अगर, खोल के पलक अपनी,
अपने आँचल से मेरी आँख, वो छुपाती है।
मुझसे हौले से मेरे दिल का हाल पूछे पर,
मैं जो पूछूं तो वो शरमा के, सर झुकाती है।
सोचकर उसको मेरी धड़कनें हुईं भारी,
उसको छू लूँ तो, बिजली सी कौंध जाती है।
मेरा हर लफ्ज़ नया, और ताजगी से भरा,
याद उसकी जो मेरे दिल से, गीत गाती है।
धूप में जब भी तेरी, याद से करूँ बातें,
तेरी आदत, वो शरारत, मुझे बताती है।
"देव" ये याद तेरी, तुझसे भी लगे प्यारी,
एक पल को भी नहीं दूर, मुझसे जाती है। "
............चेतन रामकिशन "देव"…........
दिनांक--२३ .०१.१५
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