Thursday 4 August 2011

♥श्रमिक( अब जाग जाओ ) ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥श्रमिक( अब जाग जाओ ) ♥♥♥♥♥♥♥
"कतरन पहने श्रमिक देश का, कैसे भारत उदय हो रहा!
भूख प्यास से पीड़ित है वो, उसका हर छण ह्रदय रो रहा!
श्रमिक अपने मनोभाव में, नहीं बुरा चाहता है किन्तु,
श्रमिक पर करके उत्पीडन, सत्ताधारी अदय हो रहा!

चलो बदलने नियति अपनी, उत्पीड़न का तोड़ो दर्पण!
उत्पीड़न के बनो विरोधी, तुम शत्रु का कर दो मर्दन!

सत्ताधारी आनंदित हैं, श्रमिक जीवन प्रलय हो रहा!
कतरन पहने श्रमिक देश का, कैसे भारत उदय हो रहा.......

अपने रक्त पसीने से, श्रमिक देश को सिंचित करते!
और देश के सत्ताधारी, उन्हें सुखों से वंचित करते!
धनिक कुबेरों के हाथों में, बिकती रहती हैं सरकारें,
निर्धन के सारे स्वपनों को, सत्ताधारी खंडित करते!

सोच गुलामी की त्यागो अब, सिंह गर्जना करना सीखो!
है लड़ने का जोश नहीं तो, ख़ामोशी से मरना सीखो!

आम आदमी कांप रहा है, सत्ताधारी अभय हो रहा!
कतरन पहने श्रमिक देश का, कैसे भारत उदय हो रहा.......

आम आदमी अब तुम जागो, अपने साहस को पहचानो!
खुद चिंतन भी करना सीखो, इनकी कथनी को न मानो!
अब सहने की आदत छोड़ो,"देव" चलो तुम रण भूमि में,
है शत्रु से मुक्ति पानी, तो लड़ने की मन में ठानो!

भय से नाता तोड़ चलो अब, शत्रु को जाकर ललकारो!
मद में चूर हुए हैं नेता, इन सबका तुम नशा उतारो!

आम आदमी दफ़न हुआ है, सत्ताधारी उदय हो रहा है!
कतरन पहने श्रमिक देश का, कैसे भारत उदय हो रहा!"


" आम आदमी को, वंचित वर्ग को, श्रमिक को और हर उस अभावों से पीड़ित वर्ग को अपने हाथों में शक्ति का संचार करना होगा! क्यूंकि ये अभाव उनके भाग्य के नहीं हैं, इस देश की वर्तमान व्यवस्था के हैं! इस व्यवस्था को बदलना होगा! नहीं तो इस वर्ग को इसी बेबसी और भूख के अलावा कुछ नहीं मिल सकता!- चेतन रामकिशन "देव"