♥♥♥♥♥माँ का आँचल ...♥♥♥♥♥♥
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने!
मेरे बिगड़े हुए सब काम सुधारे माँ ने!
माँ के हाथों की छुअन में तो एक जादू है,
मेरे दामन में जड़े देखो सितारे माँ ने!
माँ के आँचल में मेरी, रात, सहर होती है!
माँ को हर लम्हा मेरी कितनी फिकर होती है!
मेरी खुशियों को किये दुख में गुजारे माँ ने!
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने.....
माँ मुझे प्यार बहुत, मुझको दुआ देती है!
माँ घुटन में भी मुझे देखो हवा देती है!
मेरे दुख दर्द में ममता का सहारा देकर,
मेरे हर मर्ज़ में माँ मुझको दवा देती है!
दर्द के साये मेरे सर से उतारे माँ ने!
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने....
सारी दुनिया में नहीं, माँ सा है किरदार कोई!
नहीं देता है यहाँ, माँ की तरह की प्यार कोई!
"देव" दुनिया में अपनी माँ का दिल दुखाये जो,
उससे बढ़कर नहीं होता है, गुनहगार कोई!
जीतने को मुझे हर दांव हैं हारे माँ ने!
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने!"
......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-१९.०१.२०१४
(अपनी माँ कमला देवी एवं माँ प्रेमलता जी को समर्पित)
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने!
मेरे बिगड़े हुए सब काम सुधारे माँ ने!
माँ के हाथों की छुअन में तो एक जादू है,
मेरे दामन में जड़े देखो सितारे माँ ने!
माँ के आँचल में मेरी, रात, सहर होती है!
माँ को हर लम्हा मेरी कितनी फिकर होती है!
मेरी खुशियों को किये दुख में गुजारे माँ ने!
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने.....
माँ मुझे प्यार बहुत, मुझको दुआ देती है!
माँ घुटन में भी मुझे देखो हवा देती है!
मेरे दुख दर्द में ममता का सहारा देकर,
मेरे हर मर्ज़ में माँ मुझको दवा देती है!
दर्द के साये मेरे सर से उतारे माँ ने!
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने....
सारी दुनिया में नहीं, माँ सा है किरदार कोई!
नहीं देता है यहाँ, माँ की तरह की प्यार कोई!
"देव" दुनिया में अपनी माँ का दिल दुखाये जो,
उससे बढ़कर नहीं होता है, गुनहगार कोई!
जीतने को मुझे हर दांव हैं हारे माँ ने!
अपने हाथों से मेरे केश संवारे माँ ने!"
......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-१९.०१.२०१४
(अपनी माँ कमला देवी एवं माँ प्रेमलता जी को समर्पित)