Thursday 26 June 2014

♥♥प्रेम की धवनि..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की धवनि..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हर दिशा प्रकाशमय है, प्रेम की करतल ध्वनि है!
एक क्षण भी भंग न हो, प्रेम की ऐसी धुनी है!
मैंने तेरी भावना को, कर लिया खुद में निहित जब,
हर घड़ी, दिन रात मैंने, प्रेम की सरगम सुनी है!

प्रेम से पल्लव सुमन का, प्रेम से नदियों की कल कल!
आत्मा कर दे धवल जो, प्रेम है ऐसा मधुर जल!

मैं तेरी खातिर बना और तू मेरे संग को बनी है! 
हर दिशा प्रकाशमय है, प्रेम की करतल ध्वनि है...

भेंट न सम्मुख हुयी पर, मन से मन का आसरा है!
मैं तेरा आकाश हूँ और तू हमारी ये धरा है!
तेरे मन है प्रेम पूरित, तेरी बोली है सुकोमल,
तूने मेरे मन कलश में, प्रेम का सागर भरा है!

मन से मन का साथ पाना, देखो तो कितना सुखद है!
न ही सीमा, न ही बंदिश और न कोई भी हद है!

प्रेम के धागों से हमने, रेशमी आशा बुनी है!
हर दिशा प्रकाशमय है, प्रेम की करतल ध्वनि है....

प्रेम के पंखों से उड़कर, हम घड़ी हम पास होंगे!
इस हवा में और गगन में, प्रेम के एहसास होंगे!
"देव" मन में रागिनी सी, बांसुरी सी तुम ही तुम हो,
प्रेम की सरगम बजे जब, हर जगह उल्लास होंगे!

प्रेम की किरणें रजत सी, रात को शोभित करेंगी!
मन, वचन को शुद्ध करके, प्राण को मोहित करेंगी!

मैं तेरे जीवन का साथी, तू हमारी संगिनी है!
हर दिशा प्रकाशमय है, प्रेम की करतल ध्वनि है! "

...............चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-२७.०६.२०१४