♥♥♥♥♥♥अपनों की वफ़ा ..♥♥♥♥♥♥♥♥
पत्थरों जैसा मेरे दिल को, वो बताते हैं!
मेरे अपने भी वफ़ा इस तरह निभाते हैं!
मेरी आँखों से टपकते हैं खून के आंसू,
दिल के टुकड़े हैं के, रस्ते में बिखर जाते हैं!
आईना भी मेरी सूरत को भूलना चाहे,
लोग तो लोग हैं, पल भर में बदल जाते हैं!
मुझे पे इलज़ाम लगते हैं, कोसते हैं वो,
हम मगर फिर भी चरागों की लौ जलाते हैं!
जिसको जाने की थी जिद, दूर वो गया हमसे,
ये अलग बात के हम, उसको याद आते हैं!
उनको मुश्किल में भी, होती नहीं कमी कोई,
मरते दम जो ईमां, हर घड़ी निभाते हैं!
"देव" हमसे क्या शिकायत, क्या करेंगे शिकवा,
बेवफ़ाई के जो गुल, उम्र भर खिलाते हैं! "
..............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-१५ .०७ २०१४