Thursday 13 November 2014

♥♥बाल श्रम की मज़बूरी...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥बाल श्रम की मज़बूरी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
घरवालों के लालन पालन को, एक बच्चा श्रम करता है। 
बहन की शादी, दवा पिता की, घर के तम को कम करता है।
उसकी इच्छा भले नहीं हो, बालकपन में श्रम करने की,
पर चूल्हे की आग की खातिर, वो मेहनत का दम भरता है। 

सरकारें कहती हैं देखो, बाल श्रम पे रोक सही है। 
बच्चों का शोषण होता है, न खाता है, नहीं बही है। 
मैं भी इस सरकारी मत से सहमत हूँ पर ये कहता हूँ,
बिन पैसों के उस बच्चे के, घर में भूखी लहर रही है। 

क्या सरकारी जिम्मेदारी, बाल श्रम रुकवाने भर है। 
उस श्रमिक को मदद क्यों नहीं, जिसका भूखा प्यासा घर है। 

बाल श्रम रुकवाया जाये, पर पीड़ित का दुख हरकर के। 
बिना मदद के मर जायेंगे, रोगी बूढ़े उसके घर के। 

इसीलिए तो बाल श्रम की, वजह को पहले छांटा जाये। 
और फिर उनको प्यार वफ़ा के, खिले सुमन को बांटा जाये।   

बाल श्रम पे अंकुश का ये, सफल तभी प्रयास रहेगा। 
जब निर्धन को अन्न, दवा और खुशियों का एहसास रहेगा! "

......................चेतन रामकिशन "देव"…...................... 
दिनांक-१३.१०.२०१४