♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ(प्यार का सागर)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है!
माँ अपने बच्चों से पहले, एक पल को भी सोई नहीं है!
माँ के दिल जैसा दुनिया में, नहीं दयालु है कोई दिल,
माँ बच्चों का दर्द देखकर, अपनी धुन में खोई नहीं है!
बिन माँ के बच्चों से पूछो, माँ की कीमत क्या होती है!
इस धरती पर, इस दुनिया में, ईश्वर जैसी माँ होती है!
वो बच्चों के दुख को समझे, अपने दुख में रोई नहीं है!
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है...
माँ की लोरी सा दुनिया में, कोई मीठा गान नहीं है!
बड़ी सरल है माँ की ममता, बिंदु भर अभिमान नहीं है!
"देव" कभी तुम भूले से भी, माँ के आंसू नहीं बहाना,
जिसको माँ का अदब नहीं हो, वो कोई इन्सान नहीं है!
माँ बच्चों की खातिर जलती, जैसे अंधियारे में ज्योति!
माँ की ममता उपवन जैसी, माँ की ममता सच्चा मोती!
माँ ने देखो अपने मन में, फसल लोभ की बोई नहीं है!
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है...
माँ को सब बच्चे प्यारे हैं, माँ के मन में द्वेष नहीं है!
माँ के मन न भेद-भाव हैं, उसके मन आवेश नहीं है!
माँ शक्ति है, माँ भक्ति है, माँ पूजा के फूलों जैसी,
मेरे मन में माँ से बढ़कर, कोई इच्छा शेष नहीं है!
माँ के बिन है दुनिया सूनी, माँ जीवन की संवाहक है!
माँ बच्चों की सहयोगी है, माँ बच्चों की निर्वाहक है!
माँ ने बच्चों के आंसू से, अपनी सूरत धोई नहीं है!
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है!"
"
माँ-एक ऐसा शब्द जो मात्र दो अक्षरों का युग्म है, किन्तु उसका अर्थ महाकाव्यों में भी समाहित नहीं हो सकता! इतना प्रेम, की वो सागर की तरह अमापनीय हो! जगत के संबंधों में, सर्वोत्तम माँ, तो आइये माँ को नमन करें..!"
................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२७.०२.२०१३
(ये रचना मेरी माँ कमला देवी एवं माँ प्रेमलता जी को समर्पित)