Saturday, 6 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥अपनायत के दीप ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पत्थर जैसा दिल न करना, तुम मंजिल बोझिल न करना!
तुम औरों को दुख देकर के, अपना सुख हासिल न करना!

नफरत का माहौल बहुत है, लेकिन फिर भी प्यार निभाना!
मानवता को छलनी करके, मजलूमों को नहीं सताना!
कोई अपना दुख भी दे तो, उससे तुम नफरत न करना,
तुम दिल में अपनायत भरकर, अपनायत के दीप जलाना!

मानवता का खून बहाकर, तुम खुद को कातिल न करना!
पत्थर जैसा दिल न करना, तुम मंजिल बोझिल न करना!"

............शुभ-दिन".....चेतन रामकिशन "देव"...............

♥♥♥♥♥♥♥♥दिल की आवाज..♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल की कभी आवाज, जो तुम सुन पाते!
मेरी राहों से कभी खार, अगर चुन पाते!

तुम भी गर देखते नजदीक से, तड़प मेरी,
मेरा दावा है, उस रोज तुम भी रो जाते!

हमको लगता जहाँ, उस रोज बहुत ही प्यारा,
जिस दिन एक दूसरे के, हम जो यहाँ हो जाते!

नींद आती हमें, उस वक़्त बहुत ही मीठी,
उनकी जो गोद में, सर रखके कभी सो जाते!

"देव" हमको भी जमाना ये याद करता गर,
हम भी कुर्बान जो, इंसानियत पे हो जाते!"

.............चेतन रामकिशन "देव".............