Wednesday 1 June 2011

♥♥प्रेम और पीड़ा ♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥ ♥♥प्रेम और पीड़ा ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"पीड़ा कितनी घातक होती, कोई बिछुड़ के जाता है जब!
 कोई खुदा और कोई ईश्वर, ख़ुशी नहीं दे पाता है तब!
 नयन में अश्रु, पांव में कंटक, जीवन का पथ होता दुष्कर,
जिसका नाम ह्रदय पे लिखा, कहाँ भला मिट पाता है अब!

   प्रेम की पीड़ा रक्त बूंद में,मानो ऐसे घुल जाती है!
   गगन से लावा गिरता है, और धरती भी जल जाती है!

कष्टपूर्ण है विरह वेदना, शब्दों से उदधृत ना होगी!
कितने भी प्रयास करो तुम, छवि ना उसकी विस्मृत होगी......


प्रेम है पावन सत्य वचन है, पीड़ा भी विस्फोटक होती!
रात रात भर आंख जगे ये, भले ही सारी दुनिया सोती!
ये कहना आसान है बिल्कुल, भूल चलो तुम उन राहों को,
कैसे पर आधार गिराओ, जिन पर खड़ी ईमारत  होती!

  प्रेम की पीड़ा स्वांस तंत्र में, मानो ऐसे मिल जाती है!
  पुष्प टूट कर गिर जाते हैं, कंटक माला खिल जाती है!

पीड़ा का सम्बन्ध है गहरा, जीते जी वो मृत ना होगी!
कितना भी प्रयास करो तुम, छवि ना उसकी विस्मृत होगी.....

प्रेम के रेशम धागे की जब, मोटी रेखा कट जाती है!
वो पल ऐसा होता है ये, जहाँ जिंदगी बंट जाती है!
पीड़ा की अनुभूति मन को, देती है उद्दीपन इतना,
दुःख की वर्षा बेमौसम हो, हर्ष की बदली छट जाती है!

  प्रेम की पीड़ा"देव" नयन में,मानो ऐसे मिल जाती है!
  पाषाणों के टुकड़े होते, पर्वत माला हिल जाती है!

प्रेम की पीड़ा विष होती है, कभी नहीं वो अमृत होगी!    
कितने भी प्रयास करो तुम, छवि ना उसकी विस्मृत होगी!"

"प्रेम की पीड़ा घातक होती है! इससे व्यक्ति की मनोदशा पर भी प्रभाव पड़ता है! व्यक्ति के आत्मविश्वास में भी कमी आती है! तो आइये किसी का ह्रदय खंडित करने से पहले सोचें!-चेतन रामकिशन (देव)"