Saturday 23 July 2011

♥शीतल रक्त धार ♥♥

♥♥♥♥♥♥♥शीतल रक्त धार ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"नहीं है रक्त की बूंदों में अब तो चिपचिपाहट सी!
है प्रीति देश से लगती महज कोरी दिखावट सी!
नहीं माटी की पीड़ा से उन्हें पीड़ा की अनुभूति,
हुआ है रक्त भी शीतल, नहीं है गुनगुनाहट सी!

यहाँ "आजाद" के जैसी नहीं कोई जवानी है!
शहीदों की शहादत भी उन्हें लगती कहानी है!

नहीं संवेदना मन में, रखेंगे मुस्कराहट सी!
नहीं है रक्त की बूंदों में अब तो चिपचिपाहट सी.....

यदि जलता है भारत तो जलन इनको नहीं होती!
यदि आतंक भी फैले, तपन इनको नहीं होती!
नहीं है देशभक्ति की मनों में धारणा अब तो,
वतन को चोट लग जाये, दुखन इनको नहीं होती!

नहीं विस्मिल के जैसा साहसी, ना शौर्यवानी है!
शहीदों की शहादत भी उन्हें लगती कहानी है!

शहीदों के मरण दिन पे भी करते हैं सजावट सी!
नहीं है रक्त की बूंदों में अब तो चिपचिपाहट सी.....

यहाँ सत्ता के भक्षक भी नहीं अंग्रेज से कम हैं!
उन्ही के घर में है ज्योति, गरीबों के यहाँ तम है!
यहाँ सब "देव" का वंदन करें पाषाण मूरत में,
भरोसे भाग्य के रहते, नहीं पर हाथ में दम है!

नहीं अशफाक के जैसा कोई प्राणों का दानी है !
शहीदों की शहादत भी उन्हें लगती कहानी है!

नहीं अब रक्त में रहती है किंचित भी ललावट सी!
नहीं है रक्त की बूंदों में अब तो चिपचिपाहट सी!"

"आइये अपने रक्त में शहीदों की शहादत से उर्जा भरें, जिस माटी पे जन्म लिया यदि उसके लिए प्रेम और त्याग की भावना नहीं जगाई, तो मानव होना व्यर्थ है!-चेतन रामकिशन "देव"