Saturday, 2 August 2014

♥कहाँ हैं दोस्त वो..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥कहाँ हैं दोस्त वो..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नज़र आते नहीं अब तो, मुझे अब दोस्त वो अपने,
जो मेरी आह सुनकर के, बहुत बेचैन होते थे!

हजारों दोस्त दिखते हैं, मगर हैं नाम के केवल,
कहाँ हैं दोस्त वो, जो दुःख मैं मेरे साथ रोते थे!

नहीं कोई कपट मन में, नहीं छल, न ही लालच था,
मोहब्बत के नए पौधे, सभी जो साथ बोते थे !

चलो एक रस्म का दिन है, निभाकर देख लेते हैं,
कहीं गुम हो गए, जो उम्र भर को साथ होते थे!

नहीं होली, न दिवाली, नहीं वो ईद, न लोहड़ी,
चुके वो दौर जो त्यौहार में, संग साथ होते थे!

कसम टूटी, वफ़ा झूठी, यहां कुछ दिन का किस्सा है,
नहीं वो दोस्त जो, जो वादे वफ़ा संग में पिरोते थे!

चलो अब हारकर मैं, "देव " सच ये ओढ़ लेता हूँ,
पुराना दौर था जिसमें, बड़े दिल सबके होते थे! "

..................चेतन रामकिशन "देव"….............
दिनांक-०३.०८. २०१४


♥बिन तेरे..♥

♥♥♥♥♥♥बिन तेरे..♥♥♥♥♥♥
प्यार में मेरे क्या गलत पाया!
तुमने क्यों प्यार मेरा ठुकराया!

मेरी आँखों में आ गए आंसू,
तुमने जब गैर मुझको बतलाया!

बिन तेरे अब तो बस उदासी है,
हर तरफ दर्द का धुआं छाया!

सारे एहसास हैं तुम्हारे लिए,
अपनी चाहत का रंग दिखलाया!

चिट्ठियां मैंने तो लिखीं थीं बहुत,
खत तेरा एक भी नहीं आया!

यूँ तो हर साल ही लगा मेला,
मुझको बिन तेरे कुछ नहीं भाया !

"देव" आ जाओ ग़र सुना हो तो,
प्यार का गीत मैंने दोहराया! "

.....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-०२.०८. २०१४