♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ हालात..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अपने हालात पे रोकर भी, क्या मैं पाउँगा!
सूखे पत्तों की तरह, पेड़ से गिर जाऊंगा!
याद आयेंगे तुम्हें, लम्हें मेरी चाहत के,
तेरी महफ़िल में गज़ल, जब मैं गुनगुनाऊंगा!
मुझको अंदाजा है, के जीत अभी मुश्किल है,
फिर भी तकदीर को, मैं अपनी आजमाऊंगा!
अपने माँ बाप से, जलने का हुनर सीखा है,
मैं अंधेरों से कभी, खौफ नहीं खाऊंगा!
चाँद पे घर हो तमन्ना, मैं "देव" रखता नहीं,
हाँ मगर सबकी निगाहों में, घर बनाऊंगा!"
............चेतन रामकिशन "देव".............
( २२.०३.२०१३)