Wednesday, 16 May 2012

♥एकता की डोर..♥


♥♥♥♥♥एकता की डोर..♥♥♥♥♥♥

सितमगर के सितम सहने की आदत छोड़नी होगी!
हमे रिश्तों की यह ज़ंजीर फिर से जोड़नी होगी!
वो ताकत जो शरारत से हमें आपस में लड़वाए,
हमे एक डोर में बंधकर, वो ताकत तोड़नी होगी!

........"शुभ-दिन".....चेतन रामकिशन "देव"............