Sunday, 29 April 2012

♥♥♥♥♥♥♥♥मजहबी उन्माद..♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥मजहबी उन्माद..♥♥♥♥♥♥♥

रंगों को भेद न हो, मजहबी उन्माद न हो!
अपने हाथों से कभी दंगा और फसाद न हो!

एक जैसे ही हैं हम, सारे जहाँ के मानव,
सरहद के नाम पर, हिंसा कोई विवाद न हो!

जीवन भर के हम संगी-साथी, 
प्यार का रंग कभी बर्बाद न हो!

प्यार में जैसे भी हालात हों सह लेना पर,
भूल से कभी नफरत का घर आबाद न हो!

प्यार के रंग में हम "देव" डूब जायें बस,
हर्ष की मुरली बजे, दुख का शंखनाद न हो!"

..."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...