♥♥♥♥♥♥♥♥मजहबी उन्माद..♥♥♥♥♥♥♥
रंगों को भेद न हो, मजहबी उन्माद न हो!अपने हाथों से कभी दंगा और फसाद न हो!
एक जैसे ही हैं हम, सारे जहाँ के मानव,
सरहद के नाम पर, हिंसा कोई विवाद न हो!
जीवन भर के हम संगी-साथी,
प्यार का रंग कभी बर्बाद न हो!
प्यार में जैसे भी हालात हों सह लेना पर,
भूल से कभी नफरत का घर आबाद न हो!
प्यार के रंग में हम "देव" डूब जायें बस,
हर्ष की मुरली बजे, दुख का शंखनाद न हो!"
..."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...
1 comment:
रंगों को भेद न हो, मजहबी उन्माद न हो!
अपने हाथों से कभी दंगा और फसाद न हो!
beautiful feeling.
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