Tuesday 25 March 2014

♥♥♥दिल की चुप्पी…♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल की चुप्पी…♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है!
मुट्ठी भर होकर भी देखो, पर्वत जैसा दुख सहता है!
इस दुनिया में न हर कोई, सुनता देखो दर्द किसी का,
इसीलिए तो सोच समझकर, ये अपनी पीड़ा कहता है!

कभी ग़ज़ल को, कभी गीत को, भावुकता से भर देता है!
कभी किसी की खातिर देखो, दुआ हजारों कर देता है!

नहीं कराहता कभी जोर से, आँखों से चुप चुप बहता है!
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है....

कभी किसी अपने के हाथों, बेदर्दी से छल जाता है!
कभी किसी की खातिर देखो, दीपक जैसे जल जाता है!
"देव" कभी इंसान के दुख में, संग साथ में रोता है ये,
और कभी खुशियों में देखो, फूलों जैसा खिल जाता है!

कपट सिखाते हम ही इसको, जनम से ये पावन होता है!
बड़ा दयालु होता है ये, इसका सुन्दर मन होता है!

अपनी इच्छा मार के देखो, दंड हमारा ये सहता है!
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है!"

.................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक- २५.०३.२०१४ 

♥♥इल्ज़ाम…♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इल्ज़ाम…♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, घाव मनों का सिल जाता है!
इन झूठे इल्ज़ामों से तो, सम्बन्धों में दूरी बढ़ती,
प्यार, वफ़ा का रिश्ता नाता, बस मिट्टी में मिल जाता है!

जो बस खुद को पाक़ समझकर, औरों पर कालिख मलते हैं!
कहाँ भला उनके जीवन में, दीये हक़ीक़त के जलते हैं!

ये क्या जानें इल्ज़ामों से, ये प्यारा दिल छिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!

कितने भी इल्ज़ाम लगाओ लेकिन सच कब मर पाया है!
इल्ज़ामों का झूठा चेहरा, एक दिन क़दमों में आया है!
"देव" जहाँ में इल्ज़ामों से, रिश्ते नाते खंडित होते,
इल्ज़ामों की आंच में तपकर, खिलता घर भी मुरझाया है!

इन झूठे इल्ज़ामों के बिन, जब भी प्यार किया जाता है!
वही प्यार देखो दुनिया में, दिल से यहाँ किया जाता है!

इल्ज़ामों की चोट से देखो, घर, आंगन सब हिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"...................... 
दिनांक- २४.०३.२०१४