♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल की चुप्पी…♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है!
मुट्ठी भर होकर भी देखो, पर्वत जैसा दुख सहता है!
इस दुनिया में न हर कोई, सुनता देखो दर्द किसी का,
इसीलिए तो सोच समझकर, ये अपनी पीड़ा कहता है!
कभी ग़ज़ल को, कभी गीत को, भावुकता से भर देता है!
कभी किसी की खातिर देखो, दुआ हजारों कर देता है!
नहीं कराहता कभी जोर से, आँखों से चुप चुप बहता है!
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है....
कभी किसी अपने के हाथों, बेदर्दी से छल जाता है!
कभी किसी की खातिर देखो, दीपक जैसे जल जाता है!
"देव" कभी इंसान के दुख में, संग साथ में रोता है ये,
और कभी खुशियों में देखो, फूलों जैसा खिल जाता है!
कपट सिखाते हम ही इसको, जनम से ये पावन होता है!
बड़ा दयालु होता है ये, इसका सुन्दर मन होता है!
अपनी इच्छा मार के देखो, दंड हमारा ये सहता है!
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है!"
.................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक- २५.०३.२०१४
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है!
मुट्ठी भर होकर भी देखो, पर्वत जैसा दुख सहता है!
इस दुनिया में न हर कोई, सुनता देखो दर्द किसी का,
इसीलिए तो सोच समझकर, ये अपनी पीड़ा कहता है!
कभी ग़ज़ल को, कभी गीत को, भावुकता से भर देता है!
कभी किसी की खातिर देखो, दुआ हजारों कर देता है!
नहीं कराहता कभी जोर से, आँखों से चुप चुप बहता है!
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है....
कभी किसी अपने के हाथों, बेदर्दी से छल जाता है!
कभी किसी की खातिर देखो, दीपक जैसे जल जाता है!
"देव" कभी इंसान के दुख में, संग साथ में रोता है ये,
और कभी खुशियों में देखो, फूलों जैसा खिल जाता है!
कपट सिखाते हम ही इसको, जनम से ये पावन होता है!
बड़ा दयालु होता है ये, इसका सुन्दर मन होता है!
अपनी इच्छा मार के देखो, दंड हमारा ये सहता है!
गतिशीलता मंद हो गयी, सीने में दिल चुप रहता है!"
.................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक- २५.०३.२०१४