Sunday 28 July 2013

♥♥मेरी हर सांस...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥मेरी हर सांस...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी हर सांस को, तुमसे ही हवा मिलती है!
तुमसे ही प्यार मुझे, तुमसे दुआ मिलती है!

तेरी चाहत ने मेरे, गीतों का सिंगार किया,
मेरी गज़लों को भी, तुमसे ही अदा मिलती है!

तेरे जाने से मेरे दिल में, दर्द हो जाये,
तेरे आने से मेरे गम को, दवा मिलती है!

मेरा दिन देख के तस्वीर तेरी, खिल जाये,
और ख्वाबों से तेरे, प्यारी सुबह मिलती है!

"देव" तू देख के मुझको, न नजर फेरा कर,
ऐसे मंजर में मेरे, दिल को सजा मिलती है!"

..............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-२८.०७.२०१३

Saturday 27 July 2013

♥सावन की घटा..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥सावन की घटा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है!
जिंदगी भूलके हर गम को, मुस्कुराती है!
देखता हूँ मैं उसे, जब नजर उठाकर के,
चांदनी लाज की हर ओर, बिखर जाती है!

बड़ी सुन्दर है वो, तितली की तरह प्यारी है!
जिंदगी उसने मेरी प्यार से, निखारी है!

रूह खुश होती है वो जब भी, गीत गाती है!
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है....

प्यार के रंग में जब, आदमी रंग जाता है!
हर एक इन्सां उसे, अपना सा नजर आता है!
"देव" मजहब की, ये जाति की खाई भर जाये,
प्यार के नूर से हर शख्श, संवर जाता है!

प्यार का दीप चलो, दिल में जलाकर देखें!
चलो रूठे हुए इन्सां को, मनाकर देखें!

मैं जो रूठूँ तो मुझे, प्यार से मनाती है!
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है!"


........,,,...चेतन रामकिशन "देव"............,,,,
दिनांक-२७.०७.२०१३


Friday 26 July 2013

♥♥सावन की बूंद..♥♥

♥♥♥♥♥♥सावन की बूंद..♥♥♥♥♥♥♥
तेरी चाहत के नए, फूल खिलाने आई!
बूंद सावन की मेरे मन को, भिगाने आई!

नहीं दुनिया में कोई तुमसा खुबसूरत है,
तेरी तस्वीर मेरे दिल को, दिखाने आई!

प्यार पे देखो कड़े पहरे हैं, जमाने के,
चोरी छुपके से यहाँ, हमको मिलाने आई!

अब तो कांटो का कोई, डर मुझे नहीं होता,
मेरे राहों में नए फूल, बिछाने आई!

प्यार के बिन यहाँ इंसान नहीं बन सकते,
सारी दुनिया को हकीक़त ये, सुनाने आई!"

............चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२६.०७.२०१३

Tuesday 23 July 2013

♥♥नया वसेरा .♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥नया वसेरा .♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज उजड़ा हूँ मैं पर, कल तो वसेरा होगा!
रात के बाद यहाँ देखो, सवेरा होगा!

गिरके उठने का सबक, मेरे दिल ने पाया है,
दर्द ने जब भी यहाँ, मुझको जो घेरा होगा!

नहीं मिलती है खुशी, देखो उसे दुनिया में,
अपने माँ बाप से, मुंह जिसने भी फेरा होगा!

आईना देखा तो चेहरे पे, एक रंगत थी,
मेरी यादों ने तुझे, फिर से जो घेरा होगा!

"देव" मरने के बाद, खाली हाथ जाना है,
न यहाँ मेरा, नहीं कुछ यहाँ तेरा होगा!"

...........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-२४.०७.२०१३


♥♥रूठे रूठे से...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥रूठे रूठे से...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रूठना बंद करो, अब तो मान जाओ तुम!
प्यार का गीत मेरे साथ, गुनगुनाओ तुम!

तेरी चुप्पी से चाँद रोये, सितारे नाखुश,
इसीलिए अब तो सखी, देखो मुस्कुराओ तुम!

तेरी खामोशी के लम्हे, मुझे नहीं भाते,
हौले हौले ही सही, लब से कुछ सुनाओ तुम!

तेरे आँचल में अपने सर को रख के सोना है,
भूलकर शिकवे गिले, पास मेरे आओ तुम!

"देव" मेरी भी निगाहों में, आयेंगे आंसू,
प्यार को अपने नहीं, इतना भी सताओ तुम!"

.............चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०७.२०१३

  

Sunday 21 July 2013

♥♥सिफारिश..♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥सिफारिश..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी बस एक झलक पाने की, ख्वाहिश की है!
चाँद से तुझको बुलाने की, सिफारिश की है!

देखते देखते राहें मैं, थक गया तेरी,
मेरी आँखों ने तेरी याद में, बारिश की है!

तेरे ऊपर मैं भला, क्यूँ कोई इल्जाम रखूं,
वक़्त ने फिर से मेरे साथ, ये साजिश की है!

जल गया मेरा जिगर, कोई तो पानी डालो,
दर्द ने फिर से मेरे दिल में, ये आतिश की है!

"देव" कुदरत से बड़ा, कोई नहीं दुनिया में,
मैंने कुदरत से ही खुशियों की, गुजारिश की है!"

..............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२१ .०७.२०१३

Saturday 20 July 2013

♥♥चूल्हे की आग..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥चूल्हे की आग..♥♥♥♥♥♥♥♥
है अँधेरा के चलो तुम, चिराग बन जाओ!
किसी बुझते हुए चूल्हे की, आग बन जाओ!

जो यहाँ लूटते हैं देखो, मुफलिसों का हक,
उनको डस लो के चलो, ऐसे नाग बन जाओ!

भले दो रोटी मिलें, पर कमाओ इज्ज़त से,
ऐसा न हो के, यहाँ काला दाग बन जाओ!

अपने लफ्जों से नहीं, खुद ही फरमाईश हो,
तंग लोगों का जरा तुम, ईजाब* बन जाओ!

"देव" एक दिन उन्हें, हक की लड़ाई आएगी,
तुम जो सोते हुए लोगों की, जाग बन जाओ!"

..............चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-२०.०७.२०१३

(*-प्रार्थना/प्रस्ताव)

Friday 19 July 2013

♥♥ख्वाबों की उड़ान..♥♥

♥♥♥♥♥♥ख्वाबों की उड़ान..♥♥♥♥♥♥♥
खोलकर अपने परों को, उड़ान भरता हूँ!
अपने टूटे हुए सपनों में, जान भरता हूँ!

न ही हिन्दू, नहीं मुस्लिम, न सिख, इसाई को,
मैं तो इंसान को, दिल से सलाम करता हूँ!

रास्ते तंग हैं और देखो सफ़र मुश्किल है,
फिर भी मैं जीतने का, इतमिनान करता हूँ! 

मेरा ये जिस्म है मिट्टी का, कब बिखर जाए,
भूल से भी न कभी, मैं गुमान करता हूँ!

उम्र की धूप ने, मुझको बना दिया बूढ़ा,
हाँ मगर होंसला, फिर से जवान करता हूँ!

मैं हूँ जैसा मैं वही, दिखता हूँ हमेशा ही,
न ही मैं ढोंग, नहीं झूठी शान करता हूँ!

"देव" ये दोस्त ही, पूंजी हैं मेरे जीवन की,
ये दुआ देते हैं, मैं जब उड़ान भरता हूँ!"

............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-२०.०७.२०१३




♥♥कांच के ख्वाब..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥कांच के ख्वाब..♥♥♥♥♥♥♥
कांच के ख्वाब हैं, डर डर के मैं संजोता हूँ!
अपनी सूरत को अपने आंसुओं से धोता हूँ!

मुझसे कहते हैं लोग, क्या ये हो गया तुमको,
साथ दिखता हूँ मगर, साथ नहीं होता हूँ!

माँ से बढ़कर नहीं, हमदर्द कोई दुनिया में, 
माँ की लोरी को सुने बिन, मैं नहीं सोता हूँ!

जो गुनाह करते हैं वो, सोते हैं तसल्ली से,
बेगुनाह होके भी मैं, अपना सुकूं खोता हूँ!

"देव" मुश्किल है मगर, देखो नहीं नामुमकिन,
सोचकर ये ही मैं, गिरकर भी खड़ा होता हूँ!"

............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-१९.०७.२०१३ 






Thursday 18 July 2013

♥♥घोंसले...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥घोंसले...♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो पेड़ों पे नए, घोंसले बनाते हैं!
चलो आकाश से कुछ, तारे तोड़ लाते है!

सब्र से काम लो तुम, हार से नहीं डरना,
दीये उम्मीद के एक रोज, जगमगाते हैं!

रूह का नूर तो हर वक़्त ही कायम रहता,
हाँ मगर जिस्म यहाँ, खाक में मिल जाते हैं!

उनका ही नाम सारे, जग को रौशनी देता,
जिनके अश्कों को भी, हंसने के हुनर आते हैं!

चंद सिक्कों के लिए, खुद का ईमां मत बेचो,
लोग एक पल में ही, नजरों से उतर जाते हैं!

नहीं मंदिर, नहीं मस्जिद की जरुरत उनको,
अपने माँ बाप के आगे, जो सर झुकाते हैं!

"देव" अश्कों से मेरी, दोस्ती बड़ी गहरी,
मैं जो रोता हूँ तो ये, मुझको चुप कराते हैं!"

.........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१९.०७.२०१३

Tuesday 16 July 2013

♥♥रात की खामोशी..♥♥

♥♥♥♥♥♥रात की खामोशी..♥♥♥♥♥♥♥♥
रात खामोश है पर, ख्वाबों की किलकारी है!
जिंदगी जैसी भी है, मुझको बड़ी प्यारी है!

चाँद सुन्दर है, वो प्यारा है, ये हकीक़त है,
माँ की ममता तो मगर चाँद से उजियारी है!

बड़ी मासूम है, दिल प्यार से भरा उसका,
जैसे अम्बर से परी, धरती पे उतारी है!

आज दौलत के लिए, कितना गिर गया इन्सां,
भाई ने भाई को ही, आज छुरी मारी है!

नहीं जिद करना कभी, मेरे अश्क पीने की,
मेरी आँखों की झील, सच में बड़ी खारी है!

एक पल को भी कभी, हम न मिल सके लेकिन,
फिर भी मिलने की दुआ, हर घड़ी ही जारी है!

"देव" जिन लोगों को, कुदरत ने कर दिया तन्हा,
ऐसे इन्सां को हर एक सांस, बड़ी भारी है!"

..............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१६.०७.२०१३





Monday 15 July 2013

♥♥सुबह की रोशनी..♥♥

♥♥♥♥♥सुबह की रोशनी..♥♥♥♥♥♥♥
धीरे धीरे ही सही, रात गुजर जाएगी!
रोशनी लेके सुबह, फिर से नयी आएगी!

अपने एहसास को मिटटी में जो मिला दोगे,
देखो मिटटी से भी, सौंधी सी महक आएगी!

ख्वाब टूटें तो कभी हौंसला न कम करना,
जिंदगी फिर से नए ख्वाब, देके जाएगी!

अपनी हिम्मत को कभी, तुम जो बुलंदी दोगे,
देखो उलझन के हर एक, अपना सर झुकाएगी!

"देव" जल्दी से चलो, अपने घर को चलते हैं,
बिन मुझे देखे मेरी माँ, नहीं सो पाएगी!"

..............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१५.०७.२०१३

Sunday 14 July 2013

♥♥नया रास्ता...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥नया रास्ता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जिंदगी फिर से मुझे, रास्ता दिखाने लगी!
नयी दुनिया से मेरा, वास्ता कराने लगी!

जब भी हंसकर के, मैंने दुनिया की तरफ देखा,
सारी दुनिया मुझे अपनी सी, नजर आने लगी!

जिंदगी में नहीं मिलती हैं, हमेशा खुशियाँ,
आज ये बात मुझे देखो, समझ आने लगी!

मैंने बंजर में जो मेहनत से, बुबाई की थी,
आज उस खेत में हरियाली, लहलहाने लगी!

छोड़ दो नफरतें के, प्यार का सावन आया,
देखो कोयल भी, मोहब्बत के गीत गाने लगी!

मैं भी इन्सां हूँ मुझे, गर्भ में नहीं मारो,
छोटी सी बच्ची मुझे, पाठ ये पढ़ाने लगी!

"देव" ये माँ की दुआओं, असर ही तो है,
देखो मुश्किल मुझे, आसान नजर आने लगी!"

...............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-१५.०७.२०१३

Saturday 13 July 2013

♥♥देह की छिलन..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥देह की छिलन..♥♥♥♥♥♥♥
शब्द से भाव का जब भी, ख्याल मिलता है!
मेरे एहसास में तब गीत नया खिलता है!

वैसे मिलते हैं सफ़र में तो हजारों साथी,
कोई कोई ही मगर, साथ सदा चलता है!

मैं यही सोच के पत्थर के पूजने निकला,
लोग कहते हैं पत्थर में, खुदा मिलता है!

नाम के तो हैं यहाँ, लाखों, हजारों सूरज,
कोई जांबाज ही दीपक की तरह जलता है!

"देव" कांटो ने मुझे कोई चुभन न बख्शी,
फूल की शाख रगड़ने से, बदन छिलता है!"


...........चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१४.०७.२०१३

♥♥ख्वाबों का गीत...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥ख्वाबों का गीत...♥♥♥♥♥♥♥
चांदनी रात में एक ख्वाब सजाया जाये!
तेरी तारीफ में एक गीत बनाया जाये!

इस जनम में नहीं भरता है मोहब्बत से दिल,
सात जन्मों के लिए प्यार निभाया जाये!

ये अँधेरा भी घना पल में सिमट जायेगा,
दीप उम्मीद का जो एक जलाया जाये! 

नहीं मजहब, नहीं दौलत, न सियासत कोई,
प्यार तो दुनिया में बस, प्यार से पाया जाये!

"देव" मरके भी हमे लोग, न भुला पायें,
बनके आकाश चलो, दुनिया पे छाया जाये!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१३.०७.२०१३ 

Friday 12 July 2013

हुनर

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हुनर हाथों में रखना है, नजर मंजिल पे लानी है!
भले तूफां में हो किश्ती, हमें साहिल पे लानी है!

भरोसे बैठकर किस्मत के, कुछ भी पा नहीं सकते!
बिना बादल बने आकाश पे, हम छा नहीं सकते!
गगन को देखना तो "देव" है, आसान पर लेकिन,
बिना साहस के तारे तोड़कर, हम ला नहीं सकते!

है जब तक जान हमको, जिंदगी हंसकर बितानी है!
हुनर हाथों में रखना है, नजर मंजिल पे लानी है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१३.०७.२०१३








Thursday 11 July 2013

♥♥♥♥♥♥निर्धन की आह..♥♥♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥निर्धन की आह..♥♥♥♥♥♥
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है!
कैसे मैं कह दूँ अपना, ये देश सुखी है!

चिथड़ों में लिपटे लिपटे, इंसान हैं यहाँ!
रोटी के बिना लाखों, बेजान हैं यहाँ!
कोई भी दर्द इनका, सुनता ही नहीं है,
सब जानकर भी देखो, अंजान हैं यहाँ!

जर्जर हुए बदन हैं, अस्थि भी दिखी है!
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है...

इस देश के नेता तो, पथ से भटक गए!
बस लूट मार तक ही, ये तो अटक गए!
दिखने में तो लगते हैं, ये साफ आदमी,
पर ये ही गरीबों का, हर हक़ गटक गए!

निर्धन ने बिना जुर्म के ही, मौत चखी है!
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है...

मजदूर हो, या कृषक, या आम आदमी!
दिन रात इनकी आँखों में, रहती है नमी!
पर "देव" यूँ ही बैठके, मंजिल के नहीं मिले,
अब रंग दो लुटेरों के, तुम खून से जमीं!

अपने ही होंसले में, ये जीत लिखी है!
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है!"


"
भारत देश, आजादी के बहुत कम वर्षों के बाद भी, आज ऐसे मुकाम पर पहुंच चूका है, जहाँ से विश्व समुदाय उसे भ्रष्टाचार का उपमा देने में जरा भी संकोच नहीं करता, एक ओर निर्धन के घर चूल्हा फूंकने के लिए ४ लकड़ियाँ तक नहीं मिलती ओर एक तरफ लोग, इन्ही के धन, मेहनत ओर अधिकारों पर डाका डालकर, धन कुबेर बने बैठे हैं! तो आइये चिंतन करें..

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१३.०७.२०१३

Wednesday 10 July 2013

♥♥♥बंजर में नमी.♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥बंजर में नमी.♥♥♥♥♥♥♥♥
देखो बंजर में नमी, मेरी दुआओं से हुयी!
बूँद बनकर के जो, बरसात निगाहों से हुयी!

कैसी हो सकती थी, मुफलिस की शिफा दुनिया में,
बढ़ी महंगाई से, अब दूरी दवाओं से हुयी!

झूठ का दीप, बड़ा ही गुरुर करता था,
बुझ गया जंग वो जब, सच की हवाओं से हुयी!

आज मैं फिर से बन गया हूँ, एक भला इन्सां,
मुझे तौबा जो आज, मेरे गुनाहों से हुयी!

"देव" मैं चलता हूँ, मैं गिरता हूँ, मैं उठता हूँ,
जिंदगी पूरी मेरी इन ही, अदाओं से हुयी!"

..............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-११.०७.२०१३

♥♥♥इल्जाम...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इल्जाम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बिना ही बात के, इल्जाम की बौछार करते हो!
मैं कैसे मान लूँ के तुम, मुझी से प्यार करते हो!

नहीं बदला हूँ मैं लेकिन, तुम्हें लगता है क्यूंकि तुम,
बदल कर अपनी नजरों को, मेरा दीदार करते हो!

तुम्हारा नाम तक अपनी जुबां पे, मैं नहीं लाया,
मगर बदनाम तुम मुझको, सरे बाजार करते हो!

मोहब्बत में यकीं खुद से भी, ज्यादा होता है लेकिन,
मुझे तुम डाल के पिंजरे में, बस लाचार करते हो!

नहीं मैं जानता था "देव" के, हालात ये होंगे,
यहाँ दुश्मन बनेगा वो, जिसे तुम प्यार करते हो!"

.........चेतन रामकिशन "देव"........
दिनांक-१०.०७.२०१३

Monday 8 July 2013

♥♥नया गीत..♥♥

♥♥♥♥♥♥नया गीत..♥♥♥♥♥♥♥
आशाओं के मैं नए शब्द लेकर,
के फिर से नया गीत लिखने लगा हूँ!

पिया है जहर मैंने, जब से ये सच का,
के पहले से सुन्दर, मैं दिखने लगा हूँ!

गिरा हूँ मगर फिर से उठने की हिम्मत,
के इन बाजुओं में बचाकर रखी है!

मैं मिलता हूँ हंसकर रक़ीबों से अपने,
के मैंने तो नफरत भुलाकर रखी है!

नहीं है जरुरी के इस जिंदगी में,
खुशी ही खुशी हमको मिलती रहेगी,

इसी वास्ते मैंने अपनी हंसी में,
के पीड़ा गमों की छुपाकर रखी है!

खुशी और गमों के, मैं इन आंसुओं को,
देखो तसल्ली से, चखने लगा हूँ!

आशाओं के मैं नए शब्द लेकर,
के फिर से नया गीत लिखने लगा हूँ..

कभी तो मिलेगी मुझे मेरे मंजिल,
हताशा में रहने से, क्या फायदा है!

पता है के जब झूठ, आये पकड़ में,
तो फिर झूठ कहने से, क्या फायदा है!

सुनो "देव" अपनी निगाहों से देखो,
निगाहें मिलाकर यहाँ पे रहो तुम,

के तुम दर्द में भी, तलाशो खुशी को,
यूँ मायूस रहने से, क्या फायदा है!

मैं शब्दों से अपने, मोहब्बत की बातें,
के सबकी हथेली पे, रचने लगा हूँ!

आशाओं के मैं नए शब्द लेकर,
के फिर से नया गीत लिखने लगा हूँ!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०९.०७.२०१३

Sunday 7 July 2013

♥कठिन रास्ते..♥


♥कठिन रास्ते..♥

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है!

अँधेरा घना है,
चिरागों की तरह,
मगर फिर भी जलने को जी कर रहा है!

मैं जब भी तलाशी जो लेता हूँ दिल की,
सिवा गम के कुछ भी तो मिलता नहीं है!

बहारें खुशी की नहीं आयीं अब तक,
के जीवन में गुल कोई खिलता नहीं है!

मगर फिर भी गम की,
दहकती अगन में,
के मेरा पिघलने को जी कर रहा है!

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है...


गमों की ये रातें सताती हैं मुझको,
गमों के भी ये दिन भी रुलाते रहे हैं!

के अब तक तो टूटे हैं सारे ही सपने,
मगर ख्वाब हम फिर सजाते रहे हैं!

मुझे "देव" खुद से है इतनी मोहब्बत,
के मैं दर्द में भी, जिये जा रहा हूँ!

मुझे जितने आंसू दिए जिंदगी ने,
के मैं हंसके उनको, पिये जा रहा हूँ!

गमों की घुटन है,
मगर फिर भी मेरा,
के देखो मचलने को जी कर रहा है!

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-०७.०७.२०१३


♥♥प्रेम के नियम..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम के नियम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ 
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता!
इसीलिए मैं खुद को अब तक, प्रेम के काबिल नहीं मानता!
लोग यहाँ पर प्रेम में देखो, अपने अपने पक्ष बतायें,
किसी के दिल पे क्या बीती है, कोई देखो नहीं जानता!

प्रेम समर्पण की नीति है, लोग मगर इसको न मानें!
अपनी धुन में रहें वो डूबे, भाव किसी के न पहचानें!
अपने प्रेम को उच्च समझकर, औरों को कमतर आंकेंगे!
आंख से परदे नहीं हटाकर, किसी के दिल में वो झाकेंगे!

बिना समर्पित प्रेम की मंजिल, अपने मन में नहीं ठानता!
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता....

यदि प्रेम के भाव समझकर, साथ साथ तुम चलकर देखो!
कभी जरुरत पड़े तो देखो, एक दूजे पे मिटकर देखो!
"देव" प्रेम का नाम बताकर, भाव बोझ प्रेषित न करना,
प्रेम हमारा अमर रहेगा, यदि रूह से मिलकर देखो!

बिना समर्पण के भावों को, प्रेम मैं हरगिज नहीं मानता!
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०७.०७.२०१३

Saturday 6 July 2013

♥♥आशिकी♥♥

♥♥आशिकी♥♥
ये आशिकी है,
या है मोहब्बत,
नहीं पता है ये बेकरारी!

बिना तुम्हारे,
रहूँ मैं कैसे,
मुझे है आदत हुई तुम्हारी!

तुम्हे ही सोचूं,
तुम्हे ही देखूं,
तुम्हारी बातें ही कर रहा हूँ!

तुम्हारे बिन है,
तड़प बहुत ही,
के जिंदा होकर भी मर रहा हूँ!

तेरी जुदाई के,
आंसुओं ने,
है मेरी सूरत बहुत निखारी!

ये आशिकी है,
या है मोहब्बत,
नहीं पता है ये बेकरारी...

तुम्हारी चाहत नहीं मरेगी,
अटूट है तुमसे, 
मेरी चाहत!

हाँ ये भी सच है बिना तुम्हारे,
हमारे दिल को,
नहीं है राहत!

मैं "देव" लेकिन तुम्हारी धुन में,
ये अपना जीवन,
गुजारता हूँ,

उम्मीद है मेरे टूटे दिल को,
कभी तो होगी,
तेरी इनायत!

इन्हीं उम्मीदों के दम पे मैंने,
के देखो अपनी,
उमर गुजारी!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-०६.०७.२०१३

♥♥हसरतों की होली..♥♥

♥♥♥हसरतों की होली..♥♥♥
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं!
हमारे आंसू सिसक सिसक कर,
क्यूँ दर्द की धुन सुना रहे हैं!

जो आज दिल से ये पूछा मैंने,
जरा चुभन की वजह बताओ!
क्यूँ रो रही हैं तेरी निगाहें,
है कौन सा गम मुझे दिखाओ!
मगर ये दिल सुनता ही नहीं है,
हजारों मिन्नत करो भी इससे,
जहाँ भी देखे, उदासी इसकी,
भले ही सीने में दिल छुपाओ!

क्यूँ मेरे जीवन के गुजरे लम्हे,
मुझे यूँ बेबस बना रहे हैं!
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं...

कई दफा ये कहा है दिल से,
न गुजरे लम्हों को याद करना!
हमेशा जीना तू जोश भरके,
ग़मों से देखो, कभी न डरना!
तू "देव" के संग, खुशी से रहकर,
भुला दे पीड़ा, भुला दे आंसू,
है जान जब तक, तू खुल के जी ले,
न जीते जी तू, यहाँ पे मरना!

तेरी हताशा को देखकर के,
इरादे मातम मना रहे हैं!
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं!"

...चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-०६.०७.२०१३


Thursday 4 July 2013

♥♥तेरी तस्वीर..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी तस्वीर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!
तुझसे मिलने को दिल तरसा, नयनों ने बरसातें की हैं!

तुझको अपने पास बिठाकर, दिल का हाल बताना चाहूँ!
बिन तेरे कितना तड़पा हूँ, मैं तुमको दिखलाना चाहूँ!
लेकिन देखो "देव" विरह की, ये बेला पूरी नहीं होती,
भले विरह के भावों को मैं, कितना भी झुठलाना चाहूँ!

तुम बिन मैंने जाग जाग कर, देखो पूरी रातें की हैं!
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!"

....................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-०४.०७.२०१३

♥♥तेरी तस्वीर..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी तस्वीर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!
तुझसे मिलने को दिल तरसा, नयनों ने बरसातें की हैं!

तुझको अपने पास बिठाकर, दिल का हाल बताना चाहूँ!
बिन तेरे कितना तड़पा हूँ, मैं तुमको दिखलाना चाहूँ!
लेकिन देखो "देव" विरह की, ये बेला पूरी नहीं होती,
भले विरह के भावों को मैं, कितना भी झुठलाना चाहूँ!

तुम बिन मैंने जाग जाग कर, देखो पूरी रातें की हैं!
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!"

....................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-०४.०७.२०१३

Wednesday 3 July 2013

♥♥निर्धन का गलियारा..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥निर्धन का गलियारा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न छप्पर है, न आंगन है, और न घर में द्वार कोई है!
निर्धन के सपनों में देखो, न सुन्दर संसार कोई है!
यहाँ हुकूमत का हर नेता, करता अपने हित की बातें,
निर्धन का जो हित करती हो, न ऐसी सरकार कोई है!

सड़क किनारे फुटपाथों पर, निर्धन अक्सर मर जाते हैं!
और देश के नेता केवल, झूठे आंसू बिखराते हैं!

कुदरत भी मासूम को मारे, न दोषी को मार कोई है!
न छप्पर है, न आंगन है, और न घर में द्वार कोई है...

एक ही दल की बात नहीं है, सब दल ऐसा ही करते हैं!
जनता का धन लूटपाट कर, बस अपनी झोली भरते हैं!
"देव" हमें अब इन लोगों से, युद्ध की रचना करनी होगी,
इसीलिए तो हावी हैं ये, हम जो लड़ने से डरते हैं!

दमन यदि सहते जायेंगे, तो उद्धार नहीं हो सकता!
निर्धन अपने जीवन का फिर, रचनाधार नहीं हो सकता!

श्वेत वस्त्र पहनें नेता पर, न उम्दा किरदार कोई है!
न छप्पर है, न आंगन है, और न घर में द्वार कोई है!"

.....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०४.०७.२०१३

♥♥मिलेंगे हम तुम..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मिलेंगे हम तुम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!
विरह के मौसम का अंत होगा, के फूल बनकर खिलेंगे हम तुम!

जुदाई हो चाहें कितनी लम्बी, मगर मिलन की न आस टूटे!
ये तन मिले ने भले ही तन से, मगर न रूहों का साथ छूटे!
मैं "देव" दिल से सदा तुम्हारा, यकीन तेरा रहेगा कायम,
कभी जो रूठें तो मान जायें, कभी न दिल की ये प्रीत रूठे!

जहाँ भी हमको दुआयें देगा, के साथ फिर से चलेंगे हम तुम!
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!"

.........................चेतन रामकिशन "देव"................................
दिनांक-०३.०७.२०१३

Tuesday 2 July 2013

♥♥प्यार का आइना.♥♥

♥♥♥♥प्यार का आइना.♥♥♥♥♥♥
वो मेरे प्यार का, आइना तक नहीं!
ख्वाब जिसने मेरा, एक बुना तक नहीं!

फूल कागज के बस वो, दिखाता रहा,
ख़ार लेकिन कभी, एक चुना तक नहीं! 

जिसके अश्कों को, मैंने पिया रात दिन,
दर्द उसने मेरा पर, सुना तक नहीं!

वो तो अपनी सजावट में उलझा रहा,
ज़ख्म उसने मेरा एक, गिना तक नहीं!

"देव" वो प्यार मेरा, क्या समझेगा अब,
जिसने धड़कन को मेरी, सुना तक नहीं!"

............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-०२.०७.२०१३

Monday 1 July 2013

♥♥दो कदम.. ♥♥

♥♥♥♥♥♥♥दो कदम.. ♥♥♥♥♥♥♥
दो कदम भी मेरे साथ चल न सके!
जो तिमिर में दीया बनके जल न सके!
ऐसे लोगों को कैसे मैं अपना कहूँ, 
आह सुनकर मेरी जो पिघल न सके!

प्रेम का जिनके मन, कोष कोई नहीं!
दर्द देकर कहें, दोष कोई नहीं!
ऐसे लोगों को इन्सान कैसे कहूँ,
तोड़कर दिल जिन्हें रोष कोई नहीं!

रंग चाहत का मैं उनपे क्या डालता,
जो मेरे सुख में देखो, मचल न सके!
ऐसे लोगों को कैसे मैं अपना कहूँ, 
आह सुनकर मेरी जो पिघल न सके..

दिल किसी का, दुखाकर मैं सो न सकूँ!
बीज नफरत का मैं दिल में बो न सकूँ!
"देव" ये मेरी आदत है और आरजू,
झूठ का रिश्ता मैं देखो, ढ़ो न सकूँ!

मन को उम्मीद है, कल को बदलेंगे वो,
दर्द के आज पल जो, बदल न सके!
ऐसे लोगों को कैसे मैं अपना कहूँ, 
आह सुनकर मेरी जो पिघल न सके!"

..........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-०२.०७.२०१३