Tuesday 29 October 2013

♥♥शब्दों की अमरता...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥शब्दों की अमरता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
भले ही सांसें थम जायें पर, ये अल्फाज़ नहीं मरते हैं!
शब्द हमेशा दीपक बनकर, दुनिया को रौशन करते हैं!

कलम के नायक देह त्यागकर, दुनिया से बेशक जाते हैं,
किन्तु उनके शब्द जहाँ को, सूरज जैसे दमकाते हैं!

मौत की आहट पाकर के भी, सच्चे शब्द नहीं डरते हैं!
भले ही सांसें थम जायें पर, ये अल्फाज़ नहीं मरते हैं....

राजेंद्र से कलम के प्रहरी, मरकर के भी मर नहीं सकते!
लालच, मिथ्या और स्वार्थ से, वो समझोता कर नही सकते!

इन लोगों के शब्द ही देखो, मजलूमों का हित करते हैं!
भले ही सांसें थम जायें पर, ये अल्फाज़ नहीं मरते हैं...

 "देव" सदा ही याद रहेगा, शब्दों का संसार अमर है!
इन शब्दों में मानवता की, कोमलता का हरा शज़र है!

सच्चे और खरे शब्दों से, लोगों में ऊर्जा भरते हैं!
भले ही सांसें थम जायें पर, ये अल्फाज़ नहीं मरते हैं!"

................…चेतन रामकिशन "देव"….................
दिनांक-२९. १०. २०१३