♥♥♥♥♥♥♥♥समझा नहीं तुमने...♥♥♥♥♥♥♥
न जाने क्यूँ मेरे एहसास को समझा नहीं तुमने,
तुम्हे ही चाहा था मैंने तुम्हे दिल में वसाया था!
तुम्हारी आंख का आंसू हमेशा अपना ही समझा,
तुम्हारे दर्द को मैंने गले अपने लगाया था!
कभी तुम याद कर लेना, गए गुजरे हुए वो पल,
अँधेरी राह में तेरी कभी दीपक जलाया था!
तेरी यादों को सीने में दफन भी कर नहीं सकता,
तेरी यादों की खुश्बू में कभी मैं मुस्कुराया था!
भले ही भूल जाना तुम मुझे पत्थर नहीं कहना,
ये पत्थर काटकर मैंने, तेरा रस्ता बनाया था!"
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प्रेम के एहसास को कोई समझकर भी अनदेखा कर देता है तो कोई किसी के काबिल नहीं होता!
पर प्रेम के भाव ये कैसे समझें कि कोई उसे नकार रहा है, क्यूंकि उस शख्स से अपनापन रोके भी तो कैसे जिसे वो अपने दिल में वसाकर वंदना करता है! प्रेम कभी मिट नहीं सकता, उसे उम्मीद होती है द्वितीय पक्ष उसका दर्द समझेगा! इसी दर्द को इन शब्दों से उकेरने का प्रयास किया है! "
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०६.०३.२०१२
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