♥♥♥♥♥♥♥♥कलम का देवता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम का देवता बनना, नहीं आसान है इतना,
कलम सच्चाई का जज्बा, कलम बलिदान चाहता है!
नहीं हिन्दू, नहीं मुस्लिम, न सिख न पारसी कोई,
कलम का देवता हर ओर बस इन्सान चाहता है!
नहीं ख्वाहिश के उसके घर बहे दौलत भरा झरना,
नहीं मखमल दलाली की, वो बस ईमान चाहता है!
नहीं थमता कलम उसका, नहीं अल्फाज का सौदा,
सितारों की तरह अल्फाज की पहचान चाहता है!
कलम का देवता बनने की ख्वाहिश वो नहीं रक्खे,
हुकूमत से कलम के नाम जो एहसान चाहता है!"
" कलम के साथ वफादारी करने वालों को, हुकूमत से किसी प्रलोभन की कोई आकांक्षा नहीं होती, वो भूखे पेट रह सकता पर बिक नहीं सकता! आज हिंदुस्तान की सरकार (सोशल साईट) अभिव्यक्ति पर पाबन्दी लगाने चाहती है, पर देश के बड़े बड़े दिखने वाले रचनाकार, लेखक आवाज नहीं उठाते, मेरे ख्याल से कलम का देवता सो गया है!"
....चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---१०-०२-२०१२