♥♥♥♥मुग्ध बांसुरी ...♥♥♥♥♥
प्रेम की मुग्ध बांसुरी की तरह।
तुम तो सुन्दर हो एक परी की तरह।
तुम ही भावों का केंद्र बिंदु हो,
मेरे जीवन में तुम धुरी की तरह।
तुमसे मिलने का मन बहुत होता,
बिन तुम्हारे मिलन नहीं होता।
मेरे मुख पे उदासी छा जाये,
जब तेरा आगमन नहीं होता।
चन्द्रमा तुमको न नकारेगा,
तुम तो लगती हो सुंदरी की तरह।
तुम ही भावों का केंद्र बिंदु हो,
मेरे जीवन में तुम धुरी की तरह.....
तुम नदी हो, मधुर मधुर जल है l
बिना तुम्हारे नहीं कोई हल है।
"देव " बस हर घड़ी तेरा चेहरा,
तुमसे ही मेरे कर्म का बल है।
तेरे वाचन में है शहद कोई,
तुम तो लगती हो रसभरी की तरह।
तुम ही भावों का केंद्र बिंदु हो,
मेरे जीवन में तुम धुरी की तरह। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-११.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
प्रेम की मुग्ध बांसुरी की तरह।
तुम तो सुन्दर हो एक परी की तरह।
तुम ही भावों का केंद्र बिंदु हो,
मेरे जीवन में तुम धुरी की तरह।
तुमसे मिलने का मन बहुत होता,
बिन तुम्हारे मिलन नहीं होता।
मेरे मुख पे उदासी छा जाये,
जब तेरा आगमन नहीं होता।
चन्द्रमा तुमको न नकारेगा,
तुम तो लगती हो सुंदरी की तरह।
तुम ही भावों का केंद्र बिंदु हो,
मेरे जीवन में तुम धुरी की तरह.....
तुम नदी हो, मधुर मधुर जल है l
बिना तुम्हारे नहीं कोई हल है।
"देव " बस हर घड़ी तेरा चेहरा,
तुमसे ही मेरे कर्म का बल है।
तेरे वाचन में है शहद कोई,
तुम तो लगती हो रसभरी की तरह।
तुम ही भावों का केंद्र बिंदु हो,
मेरे जीवन में तुम धुरी की तरह। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-११.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।