Wednesday 7 January 2015

♥♥सात जनम...♥♥


♥♥♥♥♥सात जनम...♥♥♥♥♥♥
बिछड़ न जायें संभल के रहना। 
सदा मेरे आँचल में रहना। 
एक जनम तो नाकाफी है,
सात जनम तक दिल में रहना। 

अभी अभी तो शुरू किया है,
हम दोनों ने सफर प्यार का। 
अभी तो हल भी ढूंढ सके न,
हम अपने दिल बेकरार का। 
धीरे धीरे, बारीकी से, 
प्यार का हर पहलु जानेंगे,
अभी सहन करना सीखेंगे,
सखी दर्द हम इंतजार का। 

कल तुमसे था, आज में तुम हो,
साथ साथ तुम कल में रहना। 
एक जनम तो नाकाफी है,
सात जनम तक दिल में रहना... 

गीत लिखेंगे, छंद लिखेंगे। 
प्रेम का ये सम्बंध लिखेंगे। 
तुम अपना कर्तव्य उकेरो,
हम अपना प्रबंध लिखेंगे। 
तेरे शब्दों की खुशबु से,
मेरा यौवन खिल जायेगा,
साथ रहेंगे हर सुख दुख में,
मिलजुल ये सौगंध लिखेंगे। 

मैं तुमको साहस सौंपूंगा,
और तुम मेरे बल में रहना। 
एक जनम तो नाकाफी है,
सात जनम तक दिल में रहना... 

गृहकार्य में तुम पारंगत,
मैं धन अर्जित करना सीखूं। 
नींव रखो तुम हाथ से अपने,
मैं घर निर्मित करना सीखूं। 
"देव" ये सज्जा दीवारो की,
और आँगन की नाम आपके,
मैं घर के कोने कोने को,
प्यार से पुलकित करना सीखूं। 

तुमको छूकर पावन हो लूँ,
तुम गंगा के जल में रहना। 
एक जनम तो नाकाफी है,
सात जनम तक दिल में रहना। "

........चेतन रामकिशन "देव"…......
दिनांक--०७.०१.१५