♥♥♥♥♥♥♥चांदनी का सफर..♥♥♥♥♥♥♥
चाँद बनकर के जरा, साथ मेरे जलते रहो!
है सफ़र लम्बा जरा, साथ मेरे चलते रहो!
जिंदगी दर्द में भी, तुमको रास आएगी,
वक़्त के साथ मेरे यार, जरा ढ़लते रहो!
मेरा दावा है के सच्चाई छुप नहीं सकती,
झूठ के साथ भले, सारा जहाँ छलते रहो!
भूल से भी न कभी मौका, सही खो देना,
ऐसा न हो के सदा, हाथ यहाँ मलते रहो!
"देव" मखमल की तरह, जिंदगी हो जाएगी,
ख्वाब बनकर के निगाहों में, जरा पलते रहो!"
..............चेतन रामकिशन "देव"................
( २१.०३.२०१३)