Wednesday 1 February 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम एक आवश्यकता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी!
प्रेम से महक उठे घर-आंगन, प्रेम में झूमे चाहरदीवारी!
प्रेम बिना फीकी पड़ जाती, हर रिश्ते की रंग-रंगोली,
प्रेम के रंग से खिल जाती है, हर रिश्ते की नातेदारी!

प्रेम बिना इन्सान तो केवल,पत्थर का टुकड़ा होता है!
मन भी रहता उदासीन और दुखी-दुखी मुखड़ा होता है!

प्रेम बिना तो हो जाती है, मीठे जल की झील भी खारी!
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी....

प्रेम बिना तो अपनायत की, होली निश जलती है!
प्रेम बिना माँ की ममता भी,हमको झूठी लगती है!
प्रेम बिना तो रस्म सी लगती, पूजा और इबादत,
प्रेम बिना मानव की बोली, तीरों जैसे चुभती है!

प्रेम रहित मानव तो बस, हिंसा के अंकुर बोता है!
नहीं जिंदगी जीता है वो, वो केवल जीवन ढोता है!

प्रेम रहित इन्सान तो केवल, होते कंटक के व्यापारी!
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी...

ए इंसानों चलो प्रेम को, मन में धारण करना सीखो!
एक दूजे के घावों को तुम,प्रेम भाव से भरना सीखो!
बिना प्रेम के"देव" हमारा ये जीवन निष्फल होता है,
प्रेम भाव से एक दूजे को,अपने वश में करना सीखो!

प्रेम करो अपने जीवन से, प्रेम करो अच्छे कर्मों से!
प्रेम करो अच्छी बातों से,प्रेम करो तुम सब धर्मों से!

प्रेम की ताक़त से ही देखो, इस दुनिया में हिंसा हारी!
प्रेम से एक रंगत आती है,प्रेम से लगती दुनिया प्यारी!"


"प्रेम, इस छोटे से शब्द को अपने अंतर्मन में धारण करने मात्र से ये दुनिया अपनी लगने लगती है! इस संसार का हर व्यक्ति अपना लगने लगता है! प्रेम, समाज से जातिवाद, धर्मवाद, हिंसा, भेद-भाव, उंच-नीच मिटाने में सक्षम है, तो आइये प्रेम को धारण करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---०२.०२.२०१२