Monday, 2 February 2015

♥♥तरक्की...♥♥


♥♥♥♥♥♥तरक्की...♥♥♥♥♥♥♥
वो जो धरती में सोना भर रहा है। 
सफर दुश्वारियों का कर रहा है। 

करोड़ों पेट हर दिन भरने वाला,
उधारी की वजह से मर रहा है। 

परोसा जा रहा नीला नशा और,
कहें भारत तरक्की कर रहा है।

नहीं है नौकरी तो नौजवां भी, 
तड़पती जिंदगी से डर रहा है। 

जिधर देखो गरीबी का अँधेरा,
कहाँ सूरज उजाला कर रहा है। 

सियासत में नहीं मुद्दे भले के,
हर एक नेता ही टुकड़े कर रहा है। 

कहें क्या "देव", है कानून अँधा,
सज़ा बिन जुर्म के ही, कर रहा है। "

......चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक--०३.०२ .१५