Wednesday, 17 September 2014

♥♥प्यार के पंख...♥♥

♥♥♥♥♥♥प्यार के पंख...♥♥♥♥♥♥♥♥
तुमसे मिलने का मन हुआ जब से। 
पंख शब्दों में लग गए तब से। 

तेरी आँखों से न बहें आंसू,
ये दुआ मांगता हूँ मैं रब से।  

तेरी सूरत से ये नज़र न हटे,
खूबसूरत है तू बहुत सब से।

आज तक छोड़कर गयीं तो गयीं,
दूर न जाना तुम कहीं अब से। 

अपनी रूहें घुली मिलीं ऐसे,
मानो रिश्ता है अपना ये कब से। 

हर जनम में मिलें इसी तरह,
यही दरख़्वास्त मेरी है रब से। 

"देव" शब्दों के पंख प्यारे हैं,
चूमना चाहूँ मैं इन्हे लब से। "   

.......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-१७.०९.२०१४