Sunday 29 December 2013

♥♥प्यार की बूंद...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥प्यार की बूंद...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अपने आंसू मुझे दे दो, यहाँ पीने के लिए!
बूंद एक प्यार की दे दो, मुझे जीने के लिए!

उम्र भर झेली बहुत, मैंने ग़मों की लहरें,
जरा बन जाओ किनारा के, सफ़ीने के लिए!

जिंदगी बिन तेरे ये मेरी है पतझड़ जैसी,
तुम्ही हो बन सजावट के, करीने के लिए!

तेरे छूने से मेरे, ज़ख्म ये भर जायेंगे,
नहीं फिर होगी जरुरत, इन्हें सीने के लिए!

धूप की आंच में भी, सोख ले जो लहराकर,
मैं वो बन जाऊं हवा, तेरे पसीने के लिए!

बिना तेरे यहाँ पल भर भी न गुजारा हो,
दूर न जाना कभी, साल, महीने के लिए!

"देव" हर ओर मुझे प्यार नज़र आये बस,
ऐसा माहौल बना दो, जरा जीने के लिए!"

..........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२९.१२.२०१३

Saturday 28 December 2013

♥♥गांव का देवता...♥♥

♥♥♥♥♥♥गांव का देवता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खेत खलियान में बोकर के अन्न के दाने,
गांव का देवता दुनिया का, उदर भरता है!

इतना करके भी उसे, हक़ नहीं मिलता वाजिब,
चंद रुपयों में ही वो, अपनी गुजर करता है!

उसकी आँखों में खिंची, लाल लकीरें देखो,
दर्द का अपनी निगाहों में, समर भरता है!

उसपे पड़ती हैं यहाँ, लाठियां सरकारों की,
अपने हक़ के लिए, वो जब भी जिकर करता है!

न चुके उससे अगर सूद, असल कुछ भी तो,
उसकी फसलों पे सेठ, तिरछी नजर करता है!

उसको राहों में यहाँ, सब ही बिछायें कांटे,
पैदा सबके लिए जो देखो, शज़र करता है!

"देव" हक़दार है ये, देवता इबादत का,
चोट खाकर भी सदा, सबकी फिकर करता है!"

.............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-२८.१२.२०१३

Friday 27 December 2013

♥♥जलते घोंसले...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥जलते घोंसले...♥♥♥♥♥♥♥♥
दर्द होता है यहाँ, घाव जो छिल जाते हैं!
ख्वाब जब सारे यहाँ ख़ाक में मिल जाते हैं!

घर उजड़ने का दर्द, पूछो उन परिंदों से,
आग में जिनके यहाँ घोंसले जल जाते हैं!

ए अमीरों जरा उनकी तड़प को जानो तुम,
जिन गरीबों के बदन, शीत में गल जाते हैं!

आज अपनों पे यकीं, मुझको जरा सा भी नहीं,
सब बुरे वक़्त में, पल भर में बदल जाते हैं!

रेशमी खोल में वो देखो कोयला निकला,
झूठ के लेप से अब रूप बदल जाते हैं!

जिंदगी उनकी ग़मों के, लिबास में होती,
जिनके अरमां यहाँ, शीशे से पिघल जाते हैं!

"देव" मुझको नहीं आता, वो तरीका कैसे,
लोग औरों को गिराकर के, संभल जाते हैं!"

...........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२७.१२.२०१३

♥♥महकमे वाले...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥महकमे वाले...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
महकमे वाले बड़ा नेक काम करने लगे!
गीली लकड़ी को अलावों के नाम करने लगे!

मेज के नीचे से रुपयों की हुयी फरमाइश,
झूठ को तब से वो झुककर सलाम करने लगे!

जब से गुंडों को हमने, अपना बनाया नेता,
तब से वो देखो, वतन तक नीलाम करने लगे!

जिनको माँ बाप ने, भेजी थी रकम पढ़ने,
आज वो लड़के शराबों से, शाम करने लगे!

एक बापू था हमें जिसने, अमन सिखलाया,
मारके गांधी को हम, कत्लेआम करने लगे!

आज टीवी पे खुलेआम, दिखे नंगापन,
हम सभी खुद को, हवस का गुलाम करने लगे! 

"देव" उल्फत के लिए, जिनसे मिन्नतें की थीं,
लोग वो प्यार का किस्सा, तमाम करने लगे!"

.............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-२७.१२.२०१३

Thursday 26 December 2013

♥♥हवाओं की घुटन ...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥हवाओं की घुटन ...♥♥♥♥♥♥♥♥
मखमली धूप से भी, अब तो तपन लगती है!
है हवा खूब मगर, फिर भी घुटन लगती है!

मौत आई भी नहीं, फिर भी इतना ख़ामोशी,
जिंदगी दर्द के बंजर में, दफ़न लगती है!

जो कहे करते थे, नफरत का हश्र है खूनी,
प्यार की बात उन्हें, आज वजन लगती है!

वो तमाशाई हैं, जो दर्द न समझ पाये,
आज इंसानियत मिटटी में, दफ़न लगती है!

किसकी फितरत यहाँ कैसी है, समझना मुश्किल,
बर्फ के हाथ से भी, अब तो जलन लगती है!

मेरी तक़लीफ़ को सुनते हैं, भले कांटे हैं,
मिला जब फूल से तो, मुझको छिलन लगती है!

"देव" तुमसे है गुजारिश, न शिफा  करना तुम,
इन दवाओं से तो, ज़ख्मों में दुखन लगती है!"

.............चेतन रामकिशन "देव"…........
दिनांक-२६.१२.२०१३

Tuesday 24 December 2013

♥♥♥वसीयत...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥वसीयत...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अपना दिल बेच दिया, तुमने ये नीयत बेची!
चंद पैसों के लिए, तुमने हक़ीक़त बेची!

अपनी पहचान, यहाँ अपने दबदबे के लिए,
प्यार की तुमने यहाँ देखो, वसीयत बेची!

खूबसूरत ये बदन का लिबास बेच दिया,
तुमने ईमान यहाँ और ये सीरत बेची!

एक ऊँची यहाँ पत्थर की हवेली के लिए,
तुमने पुरखों की वसाई, यहाँ जीनत* बेची!

दिल नहीं भरता यहाँ, सच की अठन्नी पाकर,
अपने हाथों से यहाँ, अपनी गनीमत* बेची!

देह पे रंग के भसम*, खुद को बड़ा मान लिया,
ऐसे लोगों ने ही पर, अपनी शरीअत* बेची!

"देव" दुनिया में नहीं, ऐसे बशर बेहतर हों,
जिसने माँ बाप के लफ्जों के, नसीहत बेची!"

..............चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक-२४.१२.२०१३

गनीमत*-काफी, शरीअत*-ईश्वरीय मार्ग, जीनत*-शोभा, भसम*-भस्म 

Monday 23 December 2013

♥♥गमगीनी ♥♥

♥♥♥♥♥♥गमगीनी ♥♥♥♥♥♥♥♥
बढ़ी महंगाई ने चूल्हे की, तपन छीनी है!
मुफलिसों के यहाँ न दाल है, न चीनी है!

जिसने वादे थे किये, हर घडी के हमदर्दी के,
उसी नेता के यहाँ जश्न है, रंगीनी है!

सोचके रोज ही मुफलिस यहाँ चुप हो जाये,
उसे मर मर के यहाँ, जिंदगी ये जीनी है!

बेचना चाहे भी गर, तो न खरीदे कोई,
सुरा अश्कों को उसे, जिंदगी भर पीनी है!

बड़ा मासूम वो दुनिया की चाल क्या जाने,
उसे तो आज भी मिट्टी की महक भीनी है!

नहीं जीते जी, नहीं मरके, कोई भी उसका,
अपने हाथों से उसे, अपनी कबर* सीनी है!

"देव" मुफलिस के यहाँ, कैसे तरक्की लिखूं,
उसके जीवन में तो बस, हर घड़ी गमगीनी है!"

..............चेतन रामकिशन "देव"…............ 
दिनांक-२३.१२.२०१३





Sunday 22 December 2013

♥♥आंगन का चाँद...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥आंगन का चाँद...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जिंदगानी को चलो हंसके, गुजारा जाये!
चाँद को आओ के आंगन में, उतारा जाये! 

कौन है जिसकी जिंदगी में नहीं दर्दो-गम,
अपनी किस्मत को चलो, खुद ही संवारा जाये!

जितनी शिद्दत से हमने, चेहरे को दमकाया है,
उतनी शिद्दत से चलो, दिल को निखारा जाये!

न ही हिन्दू, नहीं मुस्लिम, न ईसाई, न सिख,
आदमी बनके चलो, सबको पुकारा जाये!

युद्ध में जो भी मिले, जीत या फिर नाकामी,
जंग से पहले नहीं, होंसला हारा जाये!

नफरतों से नहीं मिलता है, ज़माने में कुछ,
अपनी लफ्जों से मोहब्बत को, उभारा जाये!

"देव" वो जिनकी झलक, रूह में समाई है,
प्यार में उनके चलो, दिल को भी हारा जाये!" 

...........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२२.१२.२०१३

Saturday 21 December 2013

♥ टूटा पत्ता...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥ टूटा पत्ता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एक करीबी से मेरा, आज यूँ रिश्ता टूटा!
पेड़ की शाख़ से जैसे कोई पत्ता टूटा!

जिसको चाहा था यहाँ मैंने रूह से अपनी,
उसी इंसां की नजर में है, मेरा दिल झूठा!

सोंधी मिट्टी से उसे, फिर से शक्ल देकर भी,
मेरी किस्मत का घड़ा, आज तलक है फूटा!

आज मैंने भी रखे, अपने कदम मंजिल पर,
जिंदगी का ये सफ़र, मुझसे जो पीछे छूटा!

कोशिशें करके भी न, सी सका ज़ख्म अपने,
आज अपना ही हुनर देखो है, मुझसे रूठा!

मिन्नतें कितनी करो, कोई समझता ही नहीं,
चाहें मुफलिस का यहाँ, भूख से जीवन छूटा!

"देव" ये प्यार अगर, जुर्म है तो बतलाओ,
 कौन है वो जो बिना प्यार के खाली छूटा!"

...........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२२.१२.२०१३

Friday 20 December 2013

♥♥♥रहें न रहें♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥रहें न रहें♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे अल्फाज़ सजा लो, के हम रहें न रहें!
मुझे सीने से लगा लो, के हम रहें न रहें!

याद करना तो मुझे तुम न बहाना आंसू,
मेरे जज़्बात चुपाने को कहें या न कहें!

तुम्हें अनदेखा करूँ तो न गिला करना तुम,
मैं हूँ पत्थर मेरे आंसू ये बहें या न बहें!

जिनके माँ बाप ने मुश्किल से जिन्हे पाला है,
उनके बच्चे भला मुश्किल को सहें या न सहें!

झोपड़ी पल में गरीबों की, गिरा दी जायें,
और ये कब्जे अमीरों के, ढहें या न ढहें!

अपनी यादों को मेरी, ग़ज़लों से अलग न करो,
मेरे ये लफ्ज़ बिना तेरे, रहें या न रहें!

"देव" हम खानाबदोशों का यही जीवन है,
हैं जहाँ आज वहाँ कल में, रहें या न रहें!"
   
........चेतन रामकिशन "देव"…......
दिनांक-२०.१२.२०१३

Wednesday 18 December 2013

♥♥♥आदमी...♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥आदमी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हार को जीत में करने का हुनर पैदा कर!
मुश्किलों से जो लड़े ऐसा जिगर पैदा कर!

आदमी है तो तेरा प्यार आदमी से बढे,
अपने एहसास में तू ऐसा असर पैदा कर!

झील आंसू की जो मिलकर विलीन हो जाये,
अपने ज़ज्बात में तू ऐसा समर पैदा कर!

गुनगुनाये जो हर एक शख्स तेरे लफ्जों को,  
अपनी ग़ज़लों में जरा ऐसी बहर पैदा कर!

चैन छीना हो जिसने, मुल्क का अमन लुटा,
ऐसे दुश्मन के लिए खूँ में ज़हर पैदा कर!

जहाँ बेटी को मिले प्यार मायके जैसा,
अपने बर्ताब से वो प्यारा सा घर पैदा कर!

"देव" पत्थर भी बना तो भी पूजा जायेगा,
तू मगर आदमी बनने की, फ़िक़र पैदा कर!"

............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-१९.१२.२०१३

Friday 13 December 2013

♥♥होंसले का दीया..♥♥

♥♥♥♥होंसले का दीया..♥♥♥♥
जिंदगानी में गम समाया है!
दिल मगर फिर भी मुस्कुराया है!

जब भी घेरा मुझे अँधेरे ने,
होंसले का दीया जलाया है!

उसको बख्शी हैं बस दुआ मैंने,
दिल मेरा जिसने भी दुखाया है!

जीतने का जूनून है दिल को,
मैंने किस्मत को आजमाया है!

दिल मेरा दमके मोतियों की तरह, 
मैंने दुःख में इसे तपाया है!

न पड़ेगी नजर ज़माने की,
तुझको पलकों में जो छुपाया है!

"देव" दिल को सुकून है जब से,
दोस्त बिछड़ा जो लौट आया है!"

....चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-१३.१२.२०१३

Wednesday 11 December 2013

♥♥चांदनी रात..♥♥

♥♥♥♥चांदनी रात..♥♥♥♥♥
चांदनी रात का असर होगा!
कभी रोशन हमारा घर होगा! 

साथ तेरा जो मुझको मिल जाये,
फिर किसी बात का न डर होगा!

कोई मुश्किल न रास्ता रोके,
माँ के सजदे में जो ये सर होगा!

अपनी मंजिल को ढूँढ लेंगे हम,
अपने हाथों में जो हुनर होगा!

रूह में जब तुम वसा लूंगा,
तेरा दीदार हर पहर होगा!

कैसे अधरों से फूल बरसेंगे,
अपने लफ्जों में जब जहर होगा!

"देव" जिस रोज होगा अपना मिलन,
महका महका सा ये शहर होगा!"

....चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-११.१२.२०१३

Tuesday 10 December 2013

♥♥♥तेरी जीत...♥♥♥

♥♥♥♥♥तेरी जीत...♥♥♥♥♥♥
हारकर तेरी जीत बन जाऊं!
गुनगुनाओ तो गीत बन जाऊं!

नाम के प्यार की नहीं ख्वाहिश,
गर निभाओ तो मीत बन जाऊं!

धूप की जब तपन सताए तुम्हे,
ओस की तरह शीत बन जाऊं!

तेरी आँखों की मैं खुशी के लिए, 
फूल सरसों का पीत बन जाऊं!

तेरी चाहत की चांदनी मलकर,
मैं भी पावन पुनीत बन जाऊं!

याद करके जो सीख ले दुनिया,
ऐसा दिलकश अतीत बन जाऊं!

"देव" हंसकर के जो निभायें सब,
प्यार की ऐसी रीत बन जाऊं!"

....चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-१०.१२.२०१३

Monday 9 December 2013

♥♥दोस्त बनकर...♥♥

♥♥♥♥♥दोस्त बनकर...♥♥♥♥♥♥
दोस्त बनकर रक़ीब मत करना!
तुम मुझे बदनसीब मत करना!

क्या हुआ पास जो नहीं दौलत,
दिल से खुद को गरीब मत करना!

बिन तेरे मैं जो जी नहीं पाऊँ,
मुझको इतना करीब मत करना!

लोग पढ़कर के जो करें रंजिश,
खुद को ऐसे अदीब मत करना!

जिनको न कद्र हो मोहब्बत की,
"देव" उनको हबीब मत करना!"

......चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०९.१२.२०१३

Sunday 8 December 2013

♥♥♥मिसाल ...♥♥

♥♥♥♥♥मिसाल ...♥♥♥♥♥♥
बाद मरने के भी मिसाल रहे!
जिंदगी इतनी बेमिसाल रहे!

हर अँधेरा वज़ूद खो देगा,
अपने हाथों में जो मशाल रहे!

भूल से भी दुखे किसी का दिल,
अपने दिल को मगर मलाल रहे!

हमने दुनिया में क्या किया आकर,
अपने आपे से ये सवाल रहे!

प्यार मुझको जहां में जबसे हुआ,
हर घड़ी उसका ही ख्याल रहे!

रौंद दें जो वतन के दुश्मन को,
खून में अपने वो उबाल रहे!

"देव" वो रात में भी जगमग हो,
जिसके दिल में यहाँ ज़माल रहे!"

........चेतन रामकिशन "देव"……।
दिनांक-०८.१२.२०१३

Saturday 7 December 2013

♥♥शीत ऋतू की लंबी रातें...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥शीत ऋतू की लंबी रातें...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है!
सपनों में भी दस्तक देता, मेरे दिल को ऐसा गम है!
बेचैनी का कोहरा छाया, धवल उजाला भी बेदम है,
बदन हमारा कांप रहा और, ओस दुखों की बेहद नम है!

न कोई हमदर्द मिला है, दिल की बातें दिल में रह गईं!
सारी खुशियां और उम्मीदें, पलक झपकते देखो बह गईं!

छांटे से भी छंट नहीं पाता, दिल पे छाया इतना तम है!
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है....

जब भी कुछ लिखना चाहा तो, भाव गमों के ही आते हैं!
सुबह सवेरे दिवस रात में, गम के बादल छा जाते हैं!
"देव"जिसे तुम अपना मानो, लोग वही क्यूँ खो जाते हैं,
जिनसे चाहत की आशा हो, वो ही नफरत बो जाते हैं!

नहीं पता कब दिन निकलेगा, इसी सोच में लग जाता हूँ!
गर भूले से झप्पी आये, तो ख्वाबों में जग जाता हूँ!

पीड़ा की बरसात कराये, कितना बेदर्दी मौसम है!
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"….............
दिनांक-०७.१२.२०१३

Friday 6 December 2013

♥♥रंग प्रेम का...♥♥

♥♥♥रंग प्रेम का...♥♥♥♥
प्रेम ऋषि की बोली जैसा!
प्रेम सुखद रंगोली जैसा!
प्रेम दीवाली और ईद में,
रंग प्रेम का होली जैसा!

प्रेम, भावना की ज्योति है!
प्रेम सदा उज्जवल मोती है!
प्रेम हो जिसके मन में उसकी,
सोच नहीं विकृत होती है!

प्रेम सुगन्धित फूलों सा है,
प्रेम है चन्दन, रोली जैसा!
प्रेम दीवाली और ईद में,
रंग प्रेम का होली जैसा …।

प्रेम सलिल एहसासों में है!
प्रेम अटल विश्वासों में है!
"देव" प्रेम है प्रेरक शक्ति,
प्रेम नवल प्रयासों में है!

प्रेम जनम है, प्रेम गति है,
है परिणय की डोली जैसा!
प्रेम दीवाली और ईद में,
रंग प्रेम का होली जैसा!"

....चेतन रामकिशन "देव"…।
दिनांक-०६.१२.२०१३

Thursday 5 December 2013

♥♥तुम्हारे हाथ की छुअन...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारे हाथ की छुअन...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं!
तेरे प्यार में बनके दीपक, घने तिमिर में जलना चाहूं!
निशा दिवस के हर लम्हे में, सखी तुम्ही से मिलना चाहूं,
छुअन तुम्हारे हाथ की पाकर, मैं फूलों सा खिलना चाहूं!

तुमसे ही अभिषेक हमारा और तुम्ही से अभिनंदन है!
सखी तुम्हारी एहसासों से, मेरे दिल में स्पंदन है!

तेरे प्यार की नरम धूप को, मैं चेहरे पे मलना चाहूं!
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं....

हम दोनों आपस में मिलकर, जीवन पथ तैयार करेंगे!
साथ खुशी को बाँटेंगे हम, कांटे भी स्वीकार करेंगे!
"देव" सदा हम एक दूजे का, प्रेम निहित सत्कार करेंगे,
हम दोनों एकजुट होकर के, हर मुश्किल को पार करेंगे! 

यदि जलाशय न होगा तो, अपने आंसू पी लेंगे हम!
एक दूजे के ज़ख्मों को भी, प्यार-वफ़ा से सी लेंगे हम!

मेरी सांस में घुल जाओ, मैं तेरी सांस में घुलना चाहूं!
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं!"

...............चेतन रामकिशन "देव"…............
दिनांक-०५.१२.२०१३

Wednesday 4 December 2013

♥♥रेशमी एहसास..♥♥

♥♥♥♥♥♥रेशमी एहसास..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे एहसास में रेशम की तरह रहती हो!
कभी गंगा कभी झेलम की तरह बहती हो!

मेरे आँखों में दमकती हो मोतियों की तरह,
मेरी आवाज़ में सरगम की तरह रहती हो!

न उदासी मेरे चेहरे पे, ठिकाना ढूंढे,
प्यार के मखमली मौसम की तरह रहती हो!

जड़ लिया तुमको मोहब्बत की हर निशानी में,
मेरे जज़्बात में नीलम की तरह रहती हो!

"देव" तुमसे ही मेरी हर सुबह निराली है,
रात में चांदनी पूनम की तरह रहती हो!"

..........चेतन रामकिशन "देव"….......
दिनांक-०५.१२.२०१३

♥♥हथकरघे की सूनी डोरी ♥♥

♥♥♥♥♥♥हथकरघे की सूनी डोरी ♥♥♥♥♥♥♥♥
हथकरघा सूना सूना है, दौर मशीनों का आया है!
गांधी का चरखा भी देखो, अब लोगों ने ठुकराया है!
हाँ ये सच है नयी मशीनें, काम बड़ी जल्दी करती हैं,
लेकिन देखो इनके कारण, कामगार मन मुरझाया है!

मनरेगा की मजदूरी से, नहीं साल भर चूल्हा जलता!
देश के भोले मजदूरों को, नहीं खुशी का लम्हा मिलता!

हर नेता ने, हर अफसर ने, इनके दुख को झुठलाया है!
हथकरघा सूना सूना है, दौर मशीनों का आया है...

आज फावड़े धूल फांकते, नयी मशीनें दमक रहीं हैं!
आज कुदालें चुप रहतीं और दरांती सुबक रही हैं!
"देव" मशीनें चलें भले पर, मजदूरों की शामत न हो,
उसके घर में भूख प्यास से, जान किसी की आहत न हो!

देश के भोले मजदूरों ने, हर पल ही बलिदान किया है!
खून पसीना खूब बहाकर, भारत को बलवान किया है!

देख के मजदूरों की हालत, आँख में पानी भर आया है!
हथकरघा सूना सूना है, दौर मशीनों का आया है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"…..............
दिनांक-०५.१२.२०१३

Tuesday 3 December 2013

♥♥अपना ईमां..♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥अपना ईमां..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चंद सिक्कों के लिए अपना ईमां मत बेचो!
तुम सियासत के लिए सच की दुकां मत बेचो!

बड़ी मेहनत से गरीबों ने घर बनाये हैं,
अपनी कोठी के लिए उनके मकां मत बेचो!

रोक सकते हो तो रोको ज़हर की चिमनी को,
किसी मज़लूम के चूल्हे का धुआं मत बेचो!

जो बुजुर्गों ने हमें प्यार वफ़ा सिखलाई,
अपनी नफरत के लिए तुम वो निशां मत बेचो!

आबरू है यहाँ लड़की को जान से ज्यादा,
अपनी बहशत के लिए उसका जहां मत बेचो!

भले दुनिया में हक़ीक़त की डगर मुश्किल है,
अपनी आसानी को पर, सच के बयां मत बेचो!

"देव" कुछ तो यहाँ रक्खो लिहाज कसमों की,
अपने मतलब के लिए, अपनी जबां मत बेचो!"

.............चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक-०३.१२.२०१३

Monday 2 December 2013

♥♥♥कट जायेगा सफ़र ..♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥कट जायेगा सफ़र ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कट जायेगा सफ़र ख़ुशी से, मन में गर संतोष रहेगा!
मिल जायेगी हमें सफलता, यदि लक्ष्य का होश रहेगा!
फूल खिलेंगे पतझड़ में भी, जब तक मन में जोश रहेगा, 
किस्मत कैसे सुधरेगी जब, मेहनत में ही दोष रहेगा!

नाकामी के भाव संजोकर, नहीं उजाला मिल सकता है!
बिन साहस के कोई सपना, नहीं जहां में खिल सकता है!

नहीं रहो तुम भाग्य भरोसे, वरना तो अफसोस रहेगा!
कट जायेगा सफ़र ख़ुशी से, मन में गर संतोष रहेगा.....

आसमान के तारे अपनी, झोली में तुम भरना सीखो!
नही रहो तुम सहमे सहमे, खुद को साबित करना सीखो!
"देव" नहीं तुम भूले से भी, नाकामी से डरना सीखो,
नहीं हारकर मुरझाना तुम, जोश रगों में भरना सीखो!

नहीं सीखकर आता कोई, ज्ञान सभी को जग में मिलता! 
जो करते हैं कदर प्यार की, उन्हें प्यार का सागर मिलता!

तभी मिला सकते हो नजरें, जब ये मन निर्दोष रहेगा!
 कट जायेगा सफ़र ख़ुशी से, मन में गर संतोष रहेगा!"

...................…चेतन रामकिशन "देव"…..............
दिनांक-०२.१२.२०१३ 

Sunday 1 December 2013

♥♥♥गुमसुम चाँद..♥♥♥

♥♥♥♥गुमसुम चाँद..♥♥♥♥
गुमसुम चाँद दिखाई देता!
गम का शोर सुनाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता!

लम्हे दिन के कटे न तुम बिन,
निशा मेरी खामोश गुजरती!
तुम बिन सावन पतझड़ सा है,
सूनी ये मधुमास गुजरती!

आह मेरे अधरों से निकले,
कोई नहीं दवाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता …

आँख से आंसू बह जाते हैं,
दुख के बादल मुस्काते हैं!
बिना तुम्हारे इस दुनिया में,
हम तो तन्हा रह जाते हैं!

शीत ऋतू में तन मन कांपे,
कोई न गरम सिकाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता …

शब्दों में भी दर्द जगा है,
गीत खुशी के लिख नहीं पाता!
"देव" तुम्हारे बिन आँखों को,
कोई सपना दिख नहीं पाता!

सब देते हैं छिलन खार की,
कोई नहीं नरमाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता!"

..…चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-०१.१२.२०१३