Wednesday, 4 December 2013

♥♥हथकरघे की सूनी डोरी ♥♥

♥♥♥♥♥♥हथकरघे की सूनी डोरी ♥♥♥♥♥♥♥♥
हथकरघा सूना सूना है, दौर मशीनों का आया है!
गांधी का चरखा भी देखो, अब लोगों ने ठुकराया है!
हाँ ये सच है नयी मशीनें, काम बड़ी जल्दी करती हैं,
लेकिन देखो इनके कारण, कामगार मन मुरझाया है!

मनरेगा की मजदूरी से, नहीं साल भर चूल्हा जलता!
देश के भोले मजदूरों को, नहीं खुशी का लम्हा मिलता!

हर नेता ने, हर अफसर ने, इनके दुख को झुठलाया है!
हथकरघा सूना सूना है, दौर मशीनों का आया है...

आज फावड़े धूल फांकते, नयी मशीनें दमक रहीं हैं!
आज कुदालें चुप रहतीं और दरांती सुबक रही हैं!
"देव" मशीनें चलें भले पर, मजदूरों की शामत न हो,
उसके घर में भूख प्यास से, जान किसी की आहत न हो!

देश के भोले मजदूरों ने, हर पल ही बलिदान किया है!
खून पसीना खूब बहाकर, भारत को बलवान किया है!

देख के मजदूरों की हालत, आँख में पानी भर आया है!
हथकरघा सूना सूना है, दौर मशीनों का आया है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"…..............
दिनांक-०५.१२.२०१३

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