Sunday, 13 January 2013

♥मेरे एहसास..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरे एहसास..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं जीवन में उम्मीदों का दीपक, फिर से जला रहा हूँ!
अपनी सहनशीलता से मैं, दर्दे-दिल को भुला रहा हूँ!
केवल हाथ मिलाने भर से, मिलन रूह का हो न पाए,
रूह से मिलने की इच्छा में, दिल से दिल को मिला रहा हूँ!

अपने दिल के एहसासों को, नहीं मारकर जीना सीखा!
अपनी आँखों के आंसू को, बूंद बूंद भर पीना सीखा!

अपनी मन की ऊष्मा से मैं, दुख के हिम को गला रहा हूँ!
मैं जीवन में उम्मीदों का दीपक, फिर से जला रहा हूँ...

एहसासों की रंग बिरंगी दुनिया, मेरे दिल को भाती!
सात समुन्दर पार भी हैं जो, उनसे मेरा मिलन कराती!
"देव" भले ही एहसासों की, दुनिया सबको रास न आए,
लेकिन रंगत एहसासों की, अपनेपन का नूर जगाती!

मैं अपने हाथों से अपने, लफ़्ज़ों का सिंगार करूँगा!
जीवन की इस तन्हाई में, एहसासों का रंग भरूँगा! 

दुख में भी हंसकर के यारों, गम का पर्वत हिला रहा हूँ!
मैं जीवन में उम्मीदों का दीपक, फिर से जला रहा हूँ!"

....................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक--१४.०१.२०१३


♥♥जिसने मुझको..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जिसने मुझको..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कड़ी धूप में जिसने मुझको, हरियाली का नाम दिया था!
शीतलहर में उसने मुझको, ऊष्मा का उपनाम दिया था!
आज उसी व्यक्ति को मेरा, कद लेकिन बौना लगता है,
मेरे कंधे पर सर रखकर, वो जिसने विश्राम किया था!

करो निवेदन चाहें कितना, फिर भी लोग नहीं सुनते हैं!
चुभन का जिनको पता नहीं, वो भला कहाँ कांटे चुनते हैं!

आज उसी ने लूटा उपवन, वो जिसने अभिराम किया था!
कड़ी धूप में जिसने मुझको, हरियाली का नाम दिया था!"

......................चेतन रामकिशन "देव"..........................
दिनांक--१३.०१.२०१३