♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जिसने मुझको..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कड़ी धूप में जिसने मुझको, हरियाली का नाम दिया था!
शीतलहर में उसने मुझको, ऊष्मा का उपनाम दिया था!
आज उसी व्यक्ति को मेरा, कद लेकिन बौना लगता है,
मेरे कंधे पर सर रखकर, वो जिसने विश्राम किया था!
करो निवेदन चाहें कितना, फिर भी लोग नहीं सुनते हैं!
चुभन का जिनको पता नहीं, वो भला कहाँ कांटे चुनते हैं!
आज उसी ने लूटा उपवन, वो जिसने अभिराम किया था!
कड़ी धूप में जिसने मुझको, हरियाली का नाम दिया था!"
......................चेतन रामकिशन "देव"..........................
दिनांक--१३.०१.२०१३
कड़ी धूप में जिसने मुझको, हरियाली का नाम दिया था!
शीतलहर में उसने मुझको, ऊष्मा का उपनाम दिया था!
आज उसी व्यक्ति को मेरा, कद लेकिन बौना लगता है,
मेरे कंधे पर सर रखकर, वो जिसने विश्राम किया था!
करो निवेदन चाहें कितना, फिर भी लोग नहीं सुनते हैं!
चुभन का जिनको पता नहीं, वो भला कहाँ कांटे चुनते हैं!
आज उसी ने लूटा उपवन, वो जिसने अभिराम किया था!
कड़ी धूप में जिसने मुझको, हरियाली का नाम दिया था!"
......................चेतन रामकिशन "देव"..........................
दिनांक--१३.०१.२०१३
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