Monday, 9 July 2012

♥वक़्त(बदलाव का असर)..♥


♥♥♥♥♥♥♥वक़्त(बदलाव का असर)..♥♥♥♥♥♥♥♥
जिनको अपने दिल में रखा, वो ही हमसे दूर हो गए!
मेरी आँखों के सपने भी, एक पल में ही चूर हो गए!

नहीं किसी ने समझा मेरी, रंजो-गम की बीमारी को,
बिना दवा के ज़ख्म देखिए, रिस रिस कर नासूर हो गए!

वो जब तक मुफ़लिस थे तब तक, बातों में नरमी रखते थे,
उनको जब से मिली है दौलत, वो तब से मगरूर हो गए!

किस्मत जिनके साथ है उनकी, अब भी तूती बोल रही है,
लेकिन जिनसे रूठी किस्मत, वो पल में बेनूर हो गए!

कभी किसी के बुरे वक़्त में, "देव" नहीं उपहास उड़ाना,
इसी वक़्त के हाथ सिकंदर, पोरस भी मजबूर हो गए!""

.....................चेतन रामकिशन "देव"............................