♥♥♥♥तुम्हारा ख्वाब...♥♥♥♥♥♥
रात भर ख्वाब मैं सजाता रहा।
तेरा चेहरा ही याद आता रहा।
जब हवाओं ने मेरा हाथ छुआ,
तेरा एहसास मुस्कुराता रहा।
तुमने अल्फ़ाज़ प्यार के जो कहे,
हौले हौले वो गुनगुनाता रहा।
चांदनी तुमने जबसे बरसाई,
स्याह में भी मैं जगमगाता रहा।
तेरी सूरत की जब छुपी थी झलक,
बिखरी ज़ुल्फ़ों को मैँ हटाता रहा।
हुयी सुबह न देख ले कोई,
तेरी तस्वीर को छुपाता रहा।
"देव" ये ख्वाब अब हक़ीक़त हो,
ये दुआ लेके सर झुकाता रहा।
......चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-१०.१०.२०१४