♥♥♥♥♥♥♥♥आदमी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हार को जीत में करने का हुनर पैदा कर!
मुश्किलों से जो लड़े ऐसा जिगर पैदा कर!
आदमी है तो तेरा प्यार आदमी से बढे,
अपने एहसास में तू ऐसा असर पैदा कर!
झील आंसू की जो मिलकर विलीन हो जाये,
अपने ज़ज्बात में तू ऐसा समर पैदा कर!
गुनगुनाये जो हर एक शख्स तेरे लफ्जों को,
अपनी ग़ज़लों में जरा ऐसी बहर पैदा कर!
चैन छीना हो जिसने, मुल्क का अमन लुटा,
ऐसे दुश्मन के लिए खूँ में ज़हर पैदा कर!
जहाँ बेटी को मिले प्यार मायके जैसा,
अपने बर्ताब से वो प्यारा सा घर पैदा कर!
"देव" पत्थर भी बना तो भी पूजा जायेगा,
तू मगर आदमी बनने की, फ़िक़र पैदा कर!"
............चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-१९.१२.२०१३
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