♥♥♥♥♥♥♥शीत ऋतू की लंबी रातें...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है!
सपनों में भी दस्तक देता, मेरे दिल को ऐसा गम है!
बेचैनी का कोहरा छाया, धवल उजाला भी बेदम है,
बदन हमारा कांप रहा और, ओस दुखों की बेहद नम है!
न कोई हमदर्द मिला है, दिल की बातें दिल में रह गईं!
सारी खुशियां और उम्मीदें, पलक झपकते देखो बह गईं!
छांटे से भी छंट नहीं पाता, दिल पे छाया इतना तम है!
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है....
जब भी कुछ लिखना चाहा तो, भाव गमों के ही आते हैं!
सुबह सवेरे दिवस रात में, गम के बादल छा जाते हैं!
"देव"जिसे तुम अपना मानो, लोग वही क्यूँ खो जाते हैं,
जिनसे चाहत की आशा हो, वो ही नफरत बो जाते हैं!
नहीं पता कब दिन निकलेगा, इसी सोच में लग जाता हूँ!
गर भूले से झप्पी आये, तो ख्वाबों में जग जाता हूँ!
पीड़ा की बरसात कराये, कितना बेदर्दी मौसम है!
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"….............
दिनांक-०७.१२.२०१३
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है!
सपनों में भी दस्तक देता, मेरे दिल को ऐसा गम है!
बेचैनी का कोहरा छाया, धवल उजाला भी बेदम है,
बदन हमारा कांप रहा और, ओस दुखों की बेहद नम है!
न कोई हमदर्द मिला है, दिल की बातें दिल में रह गईं!
सारी खुशियां और उम्मीदें, पलक झपकते देखो बह गईं!
छांटे से भी छंट नहीं पाता, दिल पे छाया इतना तम है!
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है....
जब भी कुछ लिखना चाहा तो, भाव गमों के ही आते हैं!
सुबह सवेरे दिवस रात में, गम के बादल छा जाते हैं!
"देव"जिसे तुम अपना मानो, लोग वही क्यूँ खो जाते हैं,
जिनसे चाहत की आशा हो, वो ही नफरत बो जाते हैं!
नहीं पता कब दिन निकलेगा, इसी सोच में लग जाता हूँ!
गर भूले से झप्पी आये, तो ख्वाबों में जग जाता हूँ!
पीड़ा की बरसात कराये, कितना बेदर्दी मौसम है!
शीत ऋतू की लंबी रातें, नींद मगर आँखों में कम है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"….............
दिनांक-०७.१२.२०१३
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