♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मिलेंगे हम तुम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!
विरह के मौसम का अंत होगा, के फूल बनकर खिलेंगे हम तुम!
जुदाई हो चाहें कितनी लम्बी, मगर मिलन की न आस टूटे!
ये तन मिले ने भले ही तन से, मगर न रूहों का साथ छूटे!
मैं "देव" दिल से सदा तुम्हारा, यकीन तेरा रहेगा कायम,
कभी जो रूठें तो मान जायें, कभी न दिल की ये प्रीत रूठे!
जहाँ भी हमको दुआयें देगा, के साथ फिर से चलेंगे हम तुम!
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!"
.........................चेतन रामकिशन "देव"................................
दिनांक-०३.०७.२०१३
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!
विरह के मौसम का अंत होगा, के फूल बनकर खिलेंगे हम तुम!
जुदाई हो चाहें कितनी लम्बी, मगर मिलन की न आस टूटे!
ये तन मिले ने भले ही तन से, मगर न रूहों का साथ छूटे!
मैं "देव" दिल से सदा तुम्हारा, यकीन तेरा रहेगा कायम,
कभी जो रूठें तो मान जायें, कभी न दिल की ये प्रीत रूठे!
जहाँ भी हमको दुआयें देगा, के साथ फिर से चलेंगे हम तुम!
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!"
.........................चेतन रामकिशन "देव"................................
दिनांक-०३.०७.२०१३
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