♥♥♥♥प्यार का आइना.♥♥♥♥♥♥
वो मेरे प्यार का, आइना तक नहीं!
ख्वाब जिसने मेरा, एक बुना तक नहीं!
फूल कागज के बस वो, दिखाता रहा,
ख़ार लेकिन कभी, एक चुना तक नहीं!
जिसके अश्कों को, मैंने पिया रात दिन,
दर्द उसने मेरा पर, सुना तक नहीं!
वो तो अपनी सजावट में उलझा रहा,
ज़ख्म उसने मेरा एक, गिना तक नहीं!
"देव" वो प्यार मेरा, क्या समझेगा अब,
जिसने धड़कन को मेरी, सुना तक नहीं!"
............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-०२.०७.२०१३
वो मेरे प्यार का, आइना तक नहीं!
ख्वाब जिसने मेरा, एक बुना तक नहीं!
फूल कागज के बस वो, दिखाता रहा,
ख़ार लेकिन कभी, एक चुना तक नहीं!
जिसके अश्कों को, मैंने पिया रात दिन,
दर्द उसने मेरा पर, सुना तक नहीं!
वो तो अपनी सजावट में उलझा रहा,
ज़ख्म उसने मेरा एक, गिना तक नहीं!
"देव" वो प्यार मेरा, क्या समझेगा अब,
जिसने धड़कन को मेरी, सुना तक नहीं!"
............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-०२.०७.२०१३
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