Saturday, 6 July 2013

♥♥हसरतों की होली..♥♥

♥♥♥हसरतों की होली..♥♥♥
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं!
हमारे आंसू सिसक सिसक कर,
क्यूँ दर्द की धुन सुना रहे हैं!

जो आज दिल से ये पूछा मैंने,
जरा चुभन की वजह बताओ!
क्यूँ रो रही हैं तेरी निगाहें,
है कौन सा गम मुझे दिखाओ!
मगर ये दिल सुनता ही नहीं है,
हजारों मिन्नत करो भी इससे,
जहाँ भी देखे, उदासी इसकी,
भले ही सीने में दिल छुपाओ!

क्यूँ मेरे जीवन के गुजरे लम्हे,
मुझे यूँ बेबस बना रहे हैं!
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं...

कई दफा ये कहा है दिल से,
न गुजरे लम्हों को याद करना!
हमेशा जीना तू जोश भरके,
ग़मों से देखो, कभी न डरना!
तू "देव" के संग, खुशी से रहकर,
भुला दे पीड़ा, भुला दे आंसू,
है जान जब तक, तू खुल के जी ले,
न जीते जी तू, यहाँ पे मरना!

तेरी हताशा को देखकर के,
इरादे मातम मना रहे हैं!
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं!"

...चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-०६.०७.२०१३


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