Wednesday, 10 July 2013

♥♥♥इल्जाम...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इल्जाम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बिना ही बात के, इल्जाम की बौछार करते हो!
मैं कैसे मान लूँ के तुम, मुझी से प्यार करते हो!

नहीं बदला हूँ मैं लेकिन, तुम्हें लगता है क्यूंकि तुम,
बदल कर अपनी नजरों को, मेरा दीदार करते हो!

तुम्हारा नाम तक अपनी जुबां पे, मैं नहीं लाया,
मगर बदनाम तुम मुझको, सरे बाजार करते हो!

मोहब्बत में यकीं खुद से भी, ज्यादा होता है लेकिन,
मुझे तुम डाल के पिंजरे में, बस लाचार करते हो!

नहीं मैं जानता था "देव" के, हालात ये होंगे,
यहाँ दुश्मन बनेगा वो, जिसे तुम प्यार करते हो!"

.........चेतन रामकिशन "देव"........
दिनांक-१०.०७.२०१३

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