Monday, 4 June 2012

♥सूखी हरियाली..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सूखी हरियाली..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अब हरियाली सूख रही है, खिले हैं जंगल ईंट-रेत के!
वन सम्पदा झुलस रही है, और घटे आकार खेत के!

आज लोग बस अपने सुख में, प्रकृति का हनन कर रहे !
दूषित गैस रसायन से वो, वायुमंडल क्षरण कर रहे!
प्रकृति इस ज़हर से देखो, बिन मृत्यु के मौत पा रही,
ऐसा आलम देखके भी हम, न चिंतन, न मनन कर रहे!

चिमनी के काले धुएँ से, रंग हुए बदरंग बेत के!
अब हरियाली सूख रही है, खिले हैं जंगल ईंट-रेत के!"

"बेत-आकाश"

विश्व पर्यावरण दिवस पर आइये चिंतन करें!
.............."शुभ-दिन" ...चेतन रामकिशन "देव"..................

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