Tuesday, 2 October 2012

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥चलें निखरने.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो रात की बाहों में हम, सपनो को आगोश में भरने!
कुछ जाने, अपने लोगों से, प्यार भरी दो बातें करने!
उनके बाजु पर सर रखकर, सुननें कोई गीत-कहानी,
धवल चांदनी में चंदा की, आओ चलें हम लोग निखरने!"

....."शुभ-रात्रि".............चेतन रामकिशन "देव"...........

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