Wednesday, 24 October 2012


♥♥♥♥♥♥गम का दीदार.♥♥♥♥♥♥♥
गम का बड़े करीब से दीदार किया है!
हाँ मैंने भी दुनिया में कभी प्यार किया है!

मेरे लफ्जों में देखो नहीं कोई भी बनावट,
अश्कों से मैंने लफ्जों का सिंगार किया है!

अब रंग सियासत का भी चौखा हुआ यारों,
नेताओं ने जब से इसे बाजार किया है!

जिस शख्स को चाहती रही, वो पूजती रही,
उसने ही तो इज्ज़त को तार-तार किया है!

वो लोग मुझे "देव" बहादुर नहीं लगे,
जिन लोगों ने पीछे से, मुझपे वार किया है!"

.............(चेतन रामकिशन "देव")............

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