♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥अंतिम साँस ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देह की अंतिम साँस तलक तुम, अपना जीवन मृत न मानो!
जो तुमको मृतप्राय बना दे, तुम उसको अमृत न मानो!
हंसी खुशी से रहना सीखो, दर्द का चाबुक सहन करो तुम!
अपने मन से कमजोरी के दुखद भाव का दहन करो तुम!
हाँ ये सच है सभी के हिस्से, खुशियों का भंडार नहीं है,
इसीलिए ये भार दुखों का, मजबूती से वहन करो तुम!
तुम केवल अपने जीवन को, पीड़ा से उदधृत न मानो!
देह की अंतिम साँस तलक तुम, अपना जीवन मृत न मानो!'
................. (चेतन रामकिशन "देव") ..........................
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