Saturday 17 November 2012

♥उजाले की किरण.. ♥


♥♥♥♥♥♥♥उजाले की किरण.. ♥♥♥♥♥♥♥♥
अंधेरों से उजालों की तरफ विस्तार करना है!
हमे मन की निराशा पे कड़ा प्रहार करना है!

चलो अपने मनों से द्वेष की खाई मिटाकर के,
हमे मानव से मानवता के नाते प्यार करना है!

जहाँ देखो वहां दिखते हैं, जंगल ईंट पत्थर के,
हमे हरियाली से भूमि का अब श्रृंगार करना है!

सुनो मंदिर में अपनी वंदना करना मगर पहले,
हमे माता पिता के रूप का सत्कार करना है!

भले ही "देव" दुनिया में, बड़े धनवान हो जाना,
नहीं पर भूल के भी हमको अत्याचार करना है!"

............ (चेतन रामकिशन "देव") .............





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