♥♥♥♥♥♥♥♥♥याद तुम्हारी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
याद तुम्हारी आयेगी तो, चाँद का मैं दीदार करूँगा। 
पास रहो या दूर रहो तुम, मैं तो तुमसे प्यार करूँगा। 
भाती हो तुम मेरी रूह को, सौंप दिया है तुमको तन, मन,
मुझको तुम खुशियां या गम दो, मैं हंसकर स्वीकार करूँगा।  
मुझे बताना मेरा मिलना, यदि जो तुमको नहीं सुहाये,
तो मैं तेरे घर आँगन की, देहरी को न पार करूँगा। 
मेरी माँ ने मुझे सिखाया, अतिथियों का स्वागत करना,
तुम भी तो दिल की मेहमां हो, मैं तेरा सत्कार करूँगा। 
तुम बोलो के या न बोलो, या फिर मुझसे नज़र चुराओ,
लेकिन मैं तेरे रस्ते पे, न कोई दीवार करूँगा। 
तेरे दिल की कोमल परतें, कभी न दुःख की धूप में झुलसें,
मैं अपनी चाहत की शबनम से, हर पल बौछार करूँगा। 
"देव" तुम्हारी सूरत दिल की, दीवारों पर छपी हुयी है,
तुम्हे भूलकर जीवन नौका, बोलो कैसे पार  करूँगा।  "
........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-०३.१०.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
